नवरात्र शुरू, देवी मंदिरों में उमड़ी भीड़

छत्तीसगढ़ संवाददाता मनेन्द्रगढ़, 9 अप्रैल।चैत्र नवरात्र के प्रथम दिवस मंगलवार को सुबह से ही शहर के देवी मंदिरों में भक्तों की लंबी कतार लगी रही। प्रथम दिवस देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा जवारे बोने के साथ ही अखंड ज्योतिकलश प्रज्जवलित किए गए। मंदिरों में दिन भर जसगीत एवं भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा। नगर के मां काली मंदिर, शारदा मंदिर, हसदेव गंगा तट स्थित मां दुर्गा मंदिर, कालीबाड़ी, शीतला मंदिर व अन्य देवी मंदिर कलश स्थापना, दुर्गा सप्तशती के पाठ, सुमधुर घंटियों की आवाज एवं धूप-बत्तियों की सुगंध से महक उठे। नवरात्र के प्रथम दिवस देवी के नौ रूपों में से एक मां शैलपुत्री की आराधना की गई। मंदिरों में श्रद्धालु महिलाओं, पुरूषों एवं बच्चों ने नंगे पांव पहुंचकर देवी के दर्शन किए एवं विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना की। चैत्र नवरात्र के मद्देनजर ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्घालु माताओं-बहनों की लंबी कतार माता के मंदिर में जल चढ़़ाने के लिए आतुर नजर आयीं। नवरात्र को ईश्वर की उपासना का पर्व भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस पर्व के दौरान तपस्वियों द्वारा व्रत-उपवास रखने से उन्हें आध्यात्मिक सुख-शांति की प्राप्ति होती है। नवरात्र पर यदि देवी की उपासना सामूहिक रूप से की जाए तो परम आनंद की भी प्राप्ति होती है। 9 अप्रैल से आरंभ नवरात्र पर्व का समापन 17 अप्रैल को अखंड ज्योति की पूर्णाहुति, हवन एवं कुंवारी कन्याओं के पूजन तथा प्रसाद वितरण के साथ किया जाएगा।

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छत्तीसगढ़ संवाददाता मनेन्द्रगढ़, 9 अप्रैल।चैत्र नवरात्र के प्रथम दिवस मंगलवार को सुबह से ही शहर के देवी मंदिरों में भक्तों की लंबी कतार लगी रही। प्रथम दिवस देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा जवारे बोने के साथ ही अखंड ज्योतिकलश प्रज्जवलित किए गए। मंदिरों में दिन भर जसगीत एवं भजन-कीर्तन का दौर चलता रहा। नगर के मां काली मंदिर, शारदा मंदिर, हसदेव गंगा तट स्थित मां दुर्गा मंदिर, कालीबाड़ी, शीतला मंदिर व अन्य देवी मंदिर कलश स्थापना, दुर्गा सप्तशती के पाठ, सुमधुर घंटियों की आवाज एवं धूप-बत्तियों की सुगंध से महक उठे। नवरात्र के प्रथम दिवस देवी के नौ रूपों में से एक मां शैलपुत्री की आराधना की गई। मंदिरों में श्रद्धालु महिलाओं, पुरूषों एवं बच्चों ने नंगे पांव पहुंचकर देवी के दर्शन किए एवं विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर पारिवारिक सुख-समृद्धि की कामना की। चैत्र नवरात्र के मद्देनजर ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्घालु माताओं-बहनों की लंबी कतार माता के मंदिर में जल चढ़़ाने के लिए आतुर नजर आयीं। नवरात्र को ईश्वर की उपासना का पर्व भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस पर्व के दौरान तपस्वियों द्वारा व्रत-उपवास रखने से उन्हें आध्यात्मिक सुख-शांति की प्राप्ति होती है। नवरात्र पर यदि देवी की उपासना सामूहिक रूप से की जाए तो परम आनंद की भी प्राप्ति होती है। 9 अप्रैल से आरंभ नवरात्र पर्व का समापन 17 अप्रैल को अखंड ज्योति की पूर्णाहुति, हवन एवं कुंवारी कन्याओं के पूजन तथा प्रसाद वितरण के साथ किया जाएगा।