गितानस नौसेदा फिर से चुने गए लिथुआनिया के राष्ट्रपति

कोपनहेगन, 27 मई। लिथुआनिया के निवर्तमान राष्ट्रपति गितानस नौसेदा ने अपने प्रतिद्वंदी और देश की प्रधानमंत्री इंग्रिडा सिमोनिटे को भारी मतों के अंतर से हराकर एक बार फिर राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत हासिल की है। लिथुआनिया के केंद्रीय चुनाव आयोग के प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, नौसेदा को 74.5 प्रतिशत और सिमोनिटे को 24.1 प्रतिशत वोट मिले हैं। नौसेदा (60) एक उदारवादी रूढ़िवादी नेता हैं और यूक्रेन के प्रबल समर्थक रहे हैं। लिथुआनिया ने अपने कार्यकाल के दौरान बेलारूस से भाग कर आए कई लोगों को शरण दी है। लिथुआनिया के समाचार पत्र बाल्टिक न्यूज के अनुसार, नौसेदा ने रविवार रात मतपत्रों की गिनती के बाद कहा, लिथुआनिया की स्वतंत्रता एक नाजुक जहाज की तरह है, जिसे हमें टूटने से बचाना चाहिए, संजोना चाहिए और संरक्षित करना चाहिए। बाल्टिक देश के सहयोगियों अमेरिका, जर्मनी, पोलैंड और अन्य के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन के लिए समर्थन, रूसी खतरे के प्रति रवैये जैसे बुनियादी मुद्दों पर हमारी स्थिति एक समान है। पूर्व बैंकर नौसेदा ने 2019 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़कर राजनीति में प्रवेश किया था। उन्होंने और सिमोनिटे ने पहला दौर जीता लेकिन राष्ट्रपति पद जीतने के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत मतदान उन्हें नहीं मिल पाए थे। लेकिन दोबारा हुए चुनाव में नौसेदा को 66 प्रतिशत वोट मिले। रविवार शाम वोटों की गिनती से पहले सिमोनिटे ने अपनी हार स्वीकार कर ली और अपने प्रतिद्वंद्वी को जीत की बधाई दी। नौसेदा ने एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। वहीं, सिमोनिटे साल 2020 में प्रधानमंत्री बनी थीं। दोनों ही नेताओं ने यूक्रेन के समर्थन में आवाज उठाई है। लिथुआनिया के एक टीवी चैनल के मुताबिक, नौसेदा जुलाई में राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे और उनका कार्यकाल पांच साल का होगा।(एपी)

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कोपनहेगन, 27 मई। लिथुआनिया के निवर्तमान राष्ट्रपति गितानस नौसेदा ने अपने प्रतिद्वंदी और देश की प्रधानमंत्री इंग्रिडा सिमोनिटे को भारी मतों के अंतर से हराकर एक बार फिर राष्ट्रपति पद के चुनाव में जीत हासिल की है। लिथुआनिया के केंद्रीय चुनाव आयोग के प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, नौसेदा को 74.5 प्रतिशत और सिमोनिटे को 24.1 प्रतिशत वोट मिले हैं। नौसेदा (60) एक उदारवादी रूढ़िवादी नेता हैं और यूक्रेन के प्रबल समर्थक रहे हैं। लिथुआनिया ने अपने कार्यकाल के दौरान बेलारूस से भाग कर आए कई लोगों को शरण दी है। लिथुआनिया के समाचार पत्र बाल्टिक न्यूज के अनुसार, नौसेदा ने रविवार रात मतपत्रों की गिनती के बाद कहा, लिथुआनिया की स्वतंत्रता एक नाजुक जहाज की तरह है, जिसे हमें टूटने से बचाना चाहिए, संजोना चाहिए और संरक्षित करना चाहिए। बाल्टिक देश के सहयोगियों अमेरिका, जर्मनी, पोलैंड और अन्य के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यूक्रेन के लिए समर्थन, रूसी खतरे के प्रति रवैये जैसे बुनियादी मुद्दों पर हमारी स्थिति एक समान है। पूर्व बैंकर नौसेदा ने 2019 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़कर राजनीति में प्रवेश किया था। उन्होंने और सिमोनिटे ने पहला दौर जीता लेकिन राष्ट्रपति पद जीतने के लिए आवश्यक 50 प्रतिशत मतदान उन्हें नहीं मिल पाए थे। लेकिन दोबारा हुए चुनाव में नौसेदा को 66 प्रतिशत वोट मिले। रविवार शाम वोटों की गिनती से पहले सिमोनिटे ने अपनी हार स्वीकार कर ली और अपने प्रतिद्वंद्वी को जीत की बधाई दी। नौसेदा ने एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। वहीं, सिमोनिटे साल 2020 में प्रधानमंत्री बनी थीं। दोनों ही नेताओं ने यूक्रेन के समर्थन में आवाज उठाई है। लिथुआनिया के एक टीवी चैनल के मुताबिक, नौसेदा जुलाई में राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे और उनका कार्यकाल पांच साल का होगा।(एपी)