पहले अस्पताल में हंगामा, फिर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर लाश सडक़ पर रख चक्काजाम

छत्तीसगढ़ संवाददाता अंबिकापुर, 28 फरवरी। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में डॉक्टरों की लापरवाही से युवक की मौत का आरोप लगा परिजनों ने हंगामा कर दिया। उन्होंने शव ले जाने से भी इंकार कर दिया। दरअसल, मारपीट में घायल युवक की शुक्र वार सुबह मौत हो गई। परिजनों का कहना था कि जब जांच रिपोर्ट आ चुकी थी तो फिर मरीज का ऑपरेशन क्यों नहीं किया गया। अगर ऑपरेशन सही समय पर हो जाता तो मरीज की जान बच जाती। परिजनों का आरोप है कि गुरुवार शाम ऑपरेशन के लिए तैयारी करने कहा गया और 8 बजे ड्यूटी ऑफ होना बता शुक्रवार के लिए ऑपरेशन टाल दिया गया। मामले में जांच की मांग को लेकर परिजन शव को ले जाने के लिए तैयार नहीं थे। बाद में पुलिस और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा जांच के आश्वासन पर परिजन माने। इधर दूसरी ओर मारपीट करने वाले आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी को लेकर परिजनों ने उदयपुर क्षेत्र के बरपारा में शव को सडक़ पर रख कर चक्काजाम कर दिया। जानकारी के मुताबिक, अंबिकापुर के शीतला वार्ड निवासी अमोल दास पिता स्वर्गीय जगनंदन दास (32) महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी को अपने भतीजे विशेष मानिकपुरी के साथ देवगढ़ मेला घूमने गया था। देवगढ़ के समीप ग्राम रकेली उदयपुर में वे सभी अपनी बहन के घर चले गए। 26 फरवरी को करीब 8 बजे विशेष मानिकपुरी और नवशाद दोनों मोटरसाइकिल से रकेली से वापस घर आ रहे थे। ग्राम बरपारा चौक के पास सिटू गिरी के भाई सूर्या गिरी तथा अन्य लगभग 20 लोगों द्वारा रोक कर उनसे गाली गलौज किया जाने लगा। विशेष मानिकपुरी ने फोन कर अपने भाई रविदास को इसकी जानकारी दी, तब गांव से रविदास और अमोल दास दोनों बरपारा चौक पहुंचे। लड़ाई झगड़े की वजह वे लोग पूछ ही रहे थे, इस दौरान अचानक उपस्थित युवकों ने बेल्ट, कड़ा, लाठी-डंडा से दोनों की जमकर पिटाई कर दी। अमोल को अंदरूनी चोट लगने पर वह अचेत हो गया था। दोनों को 112 वहां से उदयपुर अस्पताल लाया गया। अमोल की स्थिति ठीक नहीं होने पर उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया। जहां आज सुबह उसकी मौत हो गई। परिजनों ने लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप परिजनों के अनुसार मारपीट में घायल अमोल दास को पेट में तकलीफ होने पर उसे मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में दाखिल किया गया था। 27 फरवरी को उसे जनरल वार्ड में भर्ती किया गया और डॉक्टर और नर्सों ने इलाज में गंभीरता नहीं दिखाई। तकलीफ बढऩे पर उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया। तकलीफ बढऩे की जानकारी देने पर डॉक्टर और नर्सों ने परिजनों से कह दिया कि वे स्वयं इलाज कर लें। जब जांच की गई तो पता चला कि अमोल दास के आंत में चोट है। उसका ऑपरेशन करना पड़ेगा। इसके लिए परिजनों को ब्लड की व्यवस्था करनी होगी। ब्लड की व्यवस्था होने की सूचना चिकित्सकों को दी गई तो चिकित्सकों ने रात 8 बजे ड्यूटी ऑफ हो जाने की जानकारी देते हुए कहा कि ऑपरेशन शुक्रवार को किया जाएगा। परिजनों ने बताया कि शुक्रवार तडक़े अमोल दास का पेट फूलने लगा। परिजनों ने जांच कराई तो पता चला कि उसके आंत में चोट के कारण पेट फूल रहा है। सुबह करीब 6 बजे इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई। परिजनों का हंगामा, शव ले जाने से इंकार अमोल दास की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा हंगामा कर दिया। परिजनों ने कहा कि हॉस्पिटल के चिकित्सकों और नर्सों ने इलाज में लापरवाही की। समय पर ऑपरेशन नहीं किया गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद भी युवक का शव परिजन नहीं ले गए और दोपहर बाद तक युवक का शव ले जाने के लिए परिजन तैयार नहीं हुए। पुलिस ने लिखित में शिकायत देने के लिए कहा। परिजनों ने लिखित में शिकायत अधीक्षक के नाम दिया और दोपहर 2 बजे शव लेकर रवाना हुए।

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छत्तीसगढ़ संवाददाता अंबिकापुर, 28 फरवरी। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में डॉक्टरों की लापरवाही से युवक की मौत का आरोप लगा परिजनों ने हंगामा कर दिया। उन्होंने शव ले जाने से भी इंकार कर दिया। दरअसल, मारपीट में घायल युवक की शुक्र वार सुबह मौत हो गई। परिजनों का कहना था कि जब जांच रिपोर्ट आ चुकी थी तो फिर मरीज का ऑपरेशन क्यों नहीं किया गया। अगर ऑपरेशन सही समय पर हो जाता तो मरीज की जान बच जाती। परिजनों का आरोप है कि गुरुवार शाम ऑपरेशन के लिए तैयारी करने कहा गया और 8 बजे ड्यूटी ऑफ होना बता शुक्रवार के लिए ऑपरेशन टाल दिया गया। मामले में जांच की मांग को लेकर परिजन शव को ले जाने के लिए तैयार नहीं थे। बाद में पुलिस और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा जांच के आश्वासन पर परिजन माने। इधर दूसरी ओर मारपीट करने वाले आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी को लेकर परिजनों ने उदयपुर क्षेत्र के बरपारा में शव को सडक़ पर रख कर चक्काजाम कर दिया। जानकारी के मुताबिक, अंबिकापुर के शीतला वार्ड निवासी अमोल दास पिता स्वर्गीय जगनंदन दास (32) महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी को अपने भतीजे विशेष मानिकपुरी के साथ देवगढ़ मेला घूमने गया था। देवगढ़ के समीप ग्राम रकेली उदयपुर में वे सभी अपनी बहन के घर चले गए। 26 फरवरी को करीब 8 बजे विशेष मानिकपुरी और नवशाद दोनों मोटरसाइकिल से रकेली से वापस घर आ रहे थे। ग्राम बरपारा चौक के पास सिटू गिरी के भाई सूर्या गिरी तथा अन्य लगभग 20 लोगों द्वारा रोक कर उनसे गाली गलौज किया जाने लगा। विशेष मानिकपुरी ने फोन कर अपने भाई रविदास को इसकी जानकारी दी, तब गांव से रविदास और अमोल दास दोनों बरपारा चौक पहुंचे। लड़ाई झगड़े की वजह वे लोग पूछ ही रहे थे, इस दौरान अचानक उपस्थित युवकों ने बेल्ट, कड़ा, लाठी-डंडा से दोनों की जमकर पिटाई कर दी। अमोल को अंदरूनी चोट लगने पर वह अचेत हो गया था। दोनों को 112 वहां से उदयपुर अस्पताल लाया गया। अमोल की स्थिति ठीक नहीं होने पर उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया। जहां आज सुबह उसकी मौत हो गई। परिजनों ने लगाया इलाज में लापरवाही का आरोप परिजनों के अनुसार मारपीट में घायल अमोल दास को पेट में तकलीफ होने पर उसे मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में दाखिल किया गया था। 27 फरवरी को उसे जनरल वार्ड में भर्ती किया गया और डॉक्टर और नर्सों ने इलाज में गंभीरता नहीं दिखाई। तकलीफ बढऩे पर उसे आईसीयू में शिफ्ट किया गया। तकलीफ बढऩे की जानकारी देने पर डॉक्टर और नर्सों ने परिजनों से कह दिया कि वे स्वयं इलाज कर लें। जब जांच की गई तो पता चला कि अमोल दास के आंत में चोट है। उसका ऑपरेशन करना पड़ेगा। इसके लिए परिजनों को ब्लड की व्यवस्था करनी होगी। ब्लड की व्यवस्था होने की सूचना चिकित्सकों को दी गई तो चिकित्सकों ने रात 8 बजे ड्यूटी ऑफ हो जाने की जानकारी देते हुए कहा कि ऑपरेशन शुक्रवार को किया जाएगा। परिजनों ने बताया कि शुक्रवार तडक़े अमोल दास का पेट फूलने लगा। परिजनों ने जांच कराई तो पता चला कि उसके आंत में चोट के कारण पेट फूल रहा है। सुबह करीब 6 बजे इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई। परिजनों का हंगामा, शव ले जाने से इंकार अमोल दास की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा हंगामा कर दिया। परिजनों ने कहा कि हॉस्पिटल के चिकित्सकों और नर्सों ने इलाज में लापरवाही की। समय पर ऑपरेशन नहीं किया गया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद भी युवक का शव परिजन नहीं ले गए और दोपहर बाद तक युवक का शव ले जाने के लिए परिजन तैयार नहीं हुए। पुलिस ने लिखित में शिकायत देने के लिए कहा। परिजनों ने लिखित में शिकायत अधीक्षक के नाम दिया और दोपहर 2 बजे शव लेकर रवाना हुए।