बिजली सब्सिडी का सरकार ने अग्रिम भुगतान नहीं किया तो उपभोक्ताओं से होगी वसूली

भोपाल. मध्यप्रदेश में इंदिरा गृह ज्योति योजना, किसानों को रियायती बिजली और अन्य प्रकार के...

बिजली सब्सिडी का सरकार ने अग्रिम भुगतान नहीं किया तो उपभोक्ताओं से होगी वसूली
Follow this link to join my WhatsApp Group
Follow this link to join my WhatsApp Group
Follow this link to join my WhatsApp Group

भोपाल.
मध्यप्रदेश में इंदिरा गृह ज्योति योजना, किसानों को रियायती बिजली और अन्य प्रकार के उपभोक्ताओं को राज्यानुदान के रुप में मिल रही सब्सिडी का राज्य सरकार अग्रिम भुगतान नहीं करती है तो विद्युत वितरण कंपनियां उपभोक्ताओं से इसकी वसूली कर सकेंगी। मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने राज्य सरकार द्वारा राज्यानुदान अर्थात सब्सिडी भुगतान करने की रीति को लेकर पुराने सभी नियमों को निरस्त करते हुए नये नियम लागू कर  दिए है। नये नियमों के अनुसार यदि राज्य सरकार बिजली बिलों में उपभोक्ताओं को दी जाने वाली छूट के लिए राज्यानुदान की राशि का अग्रिम भुगतान नहीं करती है तो वितरण लाइसेंसधारी अधिनियम की धारा 65 के प्रावधानों के तहत उपभोक्ताओं को बिल जारी करेंगी।

राज्यानुदान लेखांकन और राज्यानुदान सब्सिडी के लिए बिल जारी करना अधिनियम या नियमों के अनुसार नहीं पाया जाता है तो वितरण लाइसेंसधारी को सुनवाई का का अवसर देने के बाद आयोग अधिनियम की धारा 142 के तहत गैर अनुपालन के लिए संबंधित वितरण लाइसेंसधारी के खिलाफ उचित कार्यवाही कर सकेगा। वितरण लाइसेंसधारी  उपभोक्ता बिल पर प्रति यूनिट पूर्ण लागत टैरिफ और राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी दोनों का अलग-अलग उल्लेख करेंगे। आयोग द्वारा तय टैरिफ में राज्य सरकार द्वारा निर्देशित परित्याग या छूट  या कमी से प्रभावित किसी व्यक्ति को क्षतिपूर्ति करने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदान किए गए किसी प्रत्यक्ष अनुदान से राज्यानुदान की रचना होगी।

राज्य सरकार यदि कोई सब्सिडी देना चाहती है तो वह आयोग और वितरण कंपनियों को अपने निर्णय की जानकारी देगी। राज्य सरकार प्रत्येक उपभोक्ता श्रेणी जिन्हें वह सब्सिडी देना चाहती है के लिए टैरिफ सब्सिडी प्रति यूनिट के आधार पर  या प्रति किलोवाट के आधार पर निश्चित शुल्क कोई हो तो उसकी घोषणा करेगी। बिजली कंपनियों को सब्सिडी का लेखांकन कर इसकी रिपोर्ट आयोग को देना होगा।

तिमाही की समाप्ति तिथि से तीस दिन के भीतर वितरण कंपनी आयोग को एक त्रैमासिक रिपोर्ट देगी। इस रिपोर्ट में राज्य सरकार द्वारा घोषित सब्सिडी वाली श्रेणी द्वारा उपभोग की गई उर्जा और उपभोक्ता श्रेणीवार प्रति यूनिट सब्सिडी के आधार पर संबंधित तिमाही में वितरण कंपनी द्वारा उठाई गई वास्तविक सब्सिडी मांग, सब्सिडी का वास्तविक भुगतान,  देय और भुगतान की गई सब्सिडी में अंतर, अधिशेष के साथ आयोग द्वारा मांगे गए अन्य प्रासंगिक विवरण का ब्यौरा देगी।

आयोग की रिपोर्ट अंतिम होगी
रिपोर्ट मिलने के तीस दिनों के भीतर इसमें कोई सुधार हो तो उसके साथ इसे जारी करेगा। बिना मीटर वाली या अनुमानित खपत और वितरण लाइसेंसधारी से उर्जा आॅडिट रिपोर्ट की अनुपलब्धता के मामले में आयोग राज्य अनुदान की गणना करने के लिए अपनी स्वयं की मान्यता बनाएगा और आयोग द्वारा इस तरह अंतिम रूप से दी गई रिपोर्ट अंतिम होगी और वितरण कंपनी को इसे मानना होगा। वितरण कंपनी राज्य सरकार के उर्जा विभाग को तिमाही आधार पर देय राज्यानुदान का बिल तिमाही के लिए भुगतान की गई राज्यानुदान को समायोजित कर आयोग को एक प्रति के साथ जारी करेगा।  यह प्रक्रिया संबंधित तिमाही की समाप्ति के साठ दिन के भीतर आवश्यक बिलिंग और संग्रहण विवरण के साथ पूरी की जाएगी।