वसंत महोत्सव के साथ तिब्बती नए साल की दोहरी खुशियां

बीजिंग, 14 फरवरी । तिब्बती नया साल वसंत महोत्सव को मौके पर आता है। फिर से एकजुट होकर डबल फेस्टिवल की खुशियां मनाएं। प्राचीन शहर ल्हासा में अभी-अभी सूरज की पहली किरणें चमकी हैं, और अंगबाखांगकियॉन्ग प्रांगण में सभी जातीय समूहों के लोग खुशी और हंसी के साथ नए साल का जश्न मना रहे हैं। लोगों ने नए साल की शुभकामनाएं देने आए अपने पड़ोसियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें रंगीन अनाज की बालियां और हाईलैंड जौ त्सम्पा भेंट की। अंगबाखांगकियॉन्ग प्रांगण एक विशिष्ट तिब्बती शैली का निवास है, जिसमें हान, तिब्बती, हुई और अन्य जातीय समूह रहते हैं। निवासी सन जियानश्युए ने कहा कि हमारे प्रांगण में सभी जातीय समूहों के निवासी बटर टी में मक्खन और चाय की पत्तियों की तरह हैं। कोई भी दूसरे के बिना नहीं रह सकता। सन जियानश्युए ने कहा कि प्रांगण में पड़ोसी आमतौर पर एक-दूसरे की मदद करते हैं और सौहार्दपूर्ण संबंध रखते हैं। विभिन्न जातीय समूहों के त्योहारों के दौरान, हर कोई एक साथ जश्न मनाता है और स्वादिष्ट भोजन साझा करता है। प्राचीन शहर ल्हासा में अंगबाखांगकियॉन्ग प्रांगण जैसे 100 से अधिक राष्ट्रीय एकता परिसर हैं, जहां विभिन्न जातीय समूहों के लोग सद्भाव, शांति और संतोष से रहते हैं और काम करते हैं।(आईएएनएस)

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बीजिंग, 14 फरवरी । तिब्बती नया साल वसंत महोत्सव को मौके पर आता है। फिर से एकजुट होकर डबल फेस्टिवल की खुशियां मनाएं। प्राचीन शहर ल्हासा में अभी-अभी सूरज की पहली किरणें चमकी हैं, और अंगबाखांगकियॉन्ग प्रांगण में सभी जातीय समूहों के लोग खुशी और हंसी के साथ नए साल का जश्न मना रहे हैं। लोगों ने नए साल की शुभकामनाएं देने आए अपने पड़ोसियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें रंगीन अनाज की बालियां और हाईलैंड जौ त्सम्पा भेंट की। अंगबाखांगकियॉन्ग प्रांगण एक विशिष्ट तिब्बती शैली का निवास है, जिसमें हान, तिब्बती, हुई और अन्य जातीय समूह रहते हैं। निवासी सन जियानश्युए ने कहा कि हमारे प्रांगण में सभी जातीय समूहों के निवासी बटर टी में मक्खन और चाय की पत्तियों की तरह हैं। कोई भी दूसरे के बिना नहीं रह सकता। सन जियानश्युए ने कहा कि प्रांगण में पड़ोसी आमतौर पर एक-दूसरे की मदद करते हैं और सौहार्दपूर्ण संबंध रखते हैं। विभिन्न जातीय समूहों के त्योहारों के दौरान, हर कोई एक साथ जश्न मनाता है और स्वादिष्ट भोजन साझा करता है। प्राचीन शहर ल्हासा में अंगबाखांगकियॉन्ग प्रांगण जैसे 100 से अधिक राष्ट्रीय एकता परिसर हैं, जहां विभिन्न जातीय समूहों के लोग सद्भाव, शांति और संतोष से रहते हैं और काम करते हैं।(आईएएनएस)