80 किमी पैदल चलकर 76 गांव के हजारों ग्रामीण पहुंचे भोपालपटनम, कहा जान देंगे पर जमीन नहीं

छत्तीसगढ़ संवाददाता भोपालपटनम, 3 सितंबर। मंगलवार को सेंड्रा इलाके के 76 गांव के हजारों ग्रामीण 5 सूत्रीय मांगों को लेकर ब्लॉक मुख्यालय पहुंच एसडीएम कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। सेंड्रा इलाके के केरपे, सप्पीमरका, कानलापर्ती, बड़ेकाकलेड, छोटेकाकलेट, पीलूर, एडापल्ली, दुड़ेपल्ली, केरपे, पुसगुंडी, चेरपल्ली सहित 76 गांव के हजारों ग्रामीण 80 किमी पैदल चलकर ब्लॉक मुख्यालय में प्रदर्शन करने पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, वन मंत्री, बस्तर सांसद, क्षेत्रीय विधायक के नाम अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों का कहना है कि इंद्रावती टाइगर रिजर्व कोर क्षेत्र में पुरखों से निवासरत आदिवासियों को वहां से उजाड़ कर विस्थापन पुनर्वास करने दैनिक अखबारों एवं जिला कलेक्टर उप निदेशक इंद्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर द्वारा ज्ञापन प्रकाशित किया गया है। उनका कहना है कि यहां के मूल निवासी के रूप में जल जंगल जमीन परंपरा बोली भाषा संस्कृति की रक्षा करते हुए खेती, महुआ, टोरा, तेन्दूपत्ता संग्रहण कर जीवन यापन करते हैं। सेंड्रा इलाके के ग्रामीणों ने विस्थापन पुनर्वास नीति का विरोध किया है। जान देंगे पर जमीन नहीं छोड़ेंगे की बात ग्रामीणों ने कही है। इस प्रदर्शन में सरपंच मिच्चा समैया, जिला पंचायत सदस्य बसंत राव ताटी मिच्चा मुतैया, अशोक मड़े, आदिवासी नेता जग्गू तेलम, अशोक तलाण्डी, अफज़़ल खान, कान्तैया, कामेश्वर राव गौतम, व बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। यह रही प्रमुख मांगे- 1 इन्द्रावती टाइगर रिजर्व कोर क्षेत्र के 76 गाँव का विस्थापन / पुनर्वास नहीं किया जाए। 2 पांचवीं छठवी अनूसूची पेशा लागू कानून को पूर्णत: पालन करते हुए कारपोरेट अदानी अंबीनी को जमीन जमीन देना बंद किया जाए। 3 जान देंगे पर जमीन नहीं यथावत रहेंगे। 4 आदिवासियों को विकास के नाम पर विस्थापन करने बंद करो। 5 जल जंगल जमीन परंपरा पर निर्भर रह कर निवासरत पुरखों ने पर्यावरण को दृष्टिगत रखते हुए बचेली से गढ़चिरौली रेल मार्ग प्रस्ताव रद्द किया जाए। 90 के दशक में एक माह तक हुआ था विरोध विस्थापन के विरोध में 1995-96 में भी सेंड्रा इलाके के हजारों ग्रामीणों ने ब्लॉक मुख्यलाय में आकर 1 महीने तक विरोध प्रदर्शन किए, तब जाकर विस्थापन की प्रक्रिया थम गई थी, फिर दुबारा पुनर्वास की खबर के बाद ग्रामीण सचेत हो गए हैं। मंगलवार को हजारों ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया है।

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छत्तीसगढ़ संवाददाता भोपालपटनम, 3 सितंबर। मंगलवार को सेंड्रा इलाके के 76 गांव के हजारों ग्रामीण 5 सूत्रीय मांगों को लेकर ब्लॉक मुख्यालय पहुंच एसडीएम कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। सेंड्रा इलाके के केरपे, सप्पीमरका, कानलापर्ती, बड़ेकाकलेड, छोटेकाकलेट, पीलूर, एडापल्ली, दुड़ेपल्ली, केरपे, पुसगुंडी, चेरपल्ली सहित 76 गांव के हजारों ग्रामीण 80 किमी पैदल चलकर ब्लॉक मुख्यालय में प्रदर्शन करने पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, वन मंत्री, बस्तर सांसद, क्षेत्रीय विधायक के नाम अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों का कहना है कि इंद्रावती टाइगर रिजर्व कोर क्षेत्र में पुरखों से निवासरत आदिवासियों को वहां से उजाड़ कर विस्थापन पुनर्वास करने दैनिक अखबारों एवं जिला कलेक्टर उप निदेशक इंद्रावती टाइगर रिजर्व बीजापुर द्वारा ज्ञापन प्रकाशित किया गया है। उनका कहना है कि यहां के मूल निवासी के रूप में जल जंगल जमीन परंपरा बोली भाषा संस्कृति की रक्षा करते हुए खेती, महुआ, टोरा, तेन्दूपत्ता संग्रहण कर जीवन यापन करते हैं। सेंड्रा इलाके के ग्रामीणों ने विस्थापन पुनर्वास नीति का विरोध किया है। जान देंगे पर जमीन नहीं छोड़ेंगे की बात ग्रामीणों ने कही है। इस प्रदर्शन में सरपंच मिच्चा समैया, जिला पंचायत सदस्य बसंत राव ताटी मिच्चा मुतैया, अशोक मड़े, आदिवासी नेता जग्गू तेलम, अशोक तलाण्डी, अफज़़ल खान, कान्तैया, कामेश्वर राव गौतम, व बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। यह रही प्रमुख मांगे- 1 इन्द्रावती टाइगर रिजर्व कोर क्षेत्र के 76 गाँव का विस्थापन / पुनर्वास नहीं किया जाए। 2 पांचवीं छठवी अनूसूची पेशा लागू कानून को पूर्णत: पालन करते हुए कारपोरेट अदानी अंबीनी को जमीन जमीन देना बंद किया जाए। 3 जान देंगे पर जमीन नहीं यथावत रहेंगे। 4 आदिवासियों को विकास के नाम पर विस्थापन करने बंद करो। 5 जल जंगल जमीन परंपरा पर निर्भर रह कर निवासरत पुरखों ने पर्यावरण को दृष्टिगत रखते हुए बचेली से गढ़चिरौली रेल मार्ग प्रस्ताव रद्द किया जाए। 90 के दशक में एक माह तक हुआ था विरोध विस्थापन के विरोध में 1995-96 में भी सेंड्रा इलाके के हजारों ग्रामीणों ने ब्लॉक मुख्यलाय में आकर 1 महीने तक विरोध प्रदर्शन किए, तब जाकर विस्थापन की प्रक्रिया थम गई थी, फिर दुबारा पुनर्वास की खबर के बाद ग्रामीण सचेत हो गए हैं। मंगलवार को हजारों ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया है।