किसी गठबंधन में शामिल न होकर पाकिस्तान में विपक्ष में बैठेगी इमरान खान की पार्टी : शीर्ष नेता

(सज्जाद हुसैन) इस्लामाबाद, 12 फरवरी। इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के नेता बैरिस्टर गौहर अली खान ने कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन सरकार बनाने के लिए प्रतिद्वंद्वी पीएमएल-एन या पीपीपी से हाथ नहीं मिलाएगी और नवनिर्वाचित संसद में बहुमत होने के बावजूद विपक्ष में बैठेगी। पिछले सप्ताह के आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने सबसे अधिक संसदीय सीटें हासिल कीं। इन निर्दलीय उम्मीदवारों में ज्यादातर खान की पीटीआई से जुड़े हैं। पीटीआई के पास हालांकि 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में अपने दम पर सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं। गौहर खान ने डान अखबार को बताया, हम उनमें से दोनों (पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी) के साथ सहज महसूस नहीं करते हैं। सरकार बनाने या उनके साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर किसी से कोई बातचीत नहीं होगी। (उनके साथ) सरकार बनाने से बेहतर है कि हम विपक्ष में बैठें, लेकिन हमें लगता है कि हमारे पास बहुमत है। प्रारंभिक परिणामों के अनुसार, नेशनल असेंबली में निर्दलीय उम्मीदवारों ने 101 सीटें जीतीं। इनमें से ज्यादातर को पीटीआई का समर्थन था। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन को 75 सीटें मिलीं, जबकि पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी की पीपीपी ने 54 और एमक्यूएम-पी ने 17 सीटें हासिल कीं। अन्य पार्टियों को 17 सीटें मिलीं जबकि एक सीट पर नतीजा रोका गया है। पीटीआई ने हालांकि शुरू में सरकार बनाने का दावा किया था लेकिन शुरुआत से ही इसकी संभावनाएं मुश्किल दिख रही थीं क्योंकि सरकार बनाने के लिए 336 सीटों वाले सदन में कम से कम 169 सीटों की जरूरत है। कुल 266 सीटों पर सीधे चुनाव लड़ा जाता है जबकि महिलाओं के लिए आरक्षित 60 सीटें और अल्पसंख्यकों के लिये 10 सीटें जीतने वाली पार्टियों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर आवंटित की जाती हैं। पीटीआई को क्योंकि एक ही पार्टी के रूप में समान चिन्ह के साथ चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं थी, इसलिए वह आरक्षित सीटें पाने के लिए योग्य नहीं है। गौहर ने कहा कि पार्टी ने इसलिए विपक्षी में बैठने का फैसला किया, जिससे गठबंधन बनाने के लिए पीएमएल-एन और पीपीपी के साथ-साथ अन्य के लिए मैदान खुला है। उन्होंने कहा कि पीटीआई एक मजबूत विपक्ष बनेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने केंद्र, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब प्रांत में सरकार बनाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा, हम विधानसभाओं के बाहर नहीं रहेंगे या बाहर नहीं बैठेंगे। हमें संसद में बैठना होगा और वहां सभी समस्याओं का समाधान ढूंढना होगा। जाहिरा तौर पर यह पार्टी के 2014 में संसद के बाहर रहने के साथ-साथ 2023 में मध्यावधि चुनाव कराने के लिए खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब विधानसभाओं को भंग करने के उनके फैसले का परोक्ष संदर्भ है। इस बीच, नतीजे आने के तुरंत बाद दोनों प्रमुख दलों के बीच गठबंधन सरकार के लिए बातचीत शुरू हो गई। सूत्रों ने कहा कि अब तक पीएमएल-एन और पीपीपी और अन्य दलों के नेताओं के बीच खुले में और बंद दरवाजों के पीछे कई बैठक हो चुकी हैं। पीएमएल-एन के एक नेता के मुताबिक, मुख्य बाधा यह है कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा क्योंकि दोनों दल अपने उम्मीदवारों को आगे बढ़ा रहे हैं लेकिन काफी चर्चा के बाद कोई बीच का रास्ता निकल सकता है। पीपीपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी बिलावल भुट्टो जरदारी को प्रधानमंत्री बनाने की अपनी मांग से पीछे नहीं हट रही है क्योंकि चुनाव से पहले ही पीपीपी की केंद्रीय कार्यकारी समिति (सीईसी) ने इस पद के लिए उनका समर्थन किया था। एक स्वतंत्र सूत्र ने कहा कि दोनों दलों के बीच पांच साल के कार्यकाल को विभाजित करने के एक नए फॉर्मूले पर चर्चा की जा रही है और यह दोनों समूहों के लिए स्वीकार्य हो सकता है। सूत्र ने कहा, यह प्रस्तावित किया गया है कि पीएमएल-एन उम्मीदवार तीन साल के लिए प्रधानमंत्री रहेगा जबकि दो साल के लिए पीपीपी नेता इस पद पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह हालांकि तय नहीं हो पाया कि पहला कार्यकाल किसे मिलेगा। सूत्र ने कहा कि पीपीपी की सीईसी की सोमवार को बैठक होनी है, जहां पीएमएल-एन के साथ चर्चा के आधार पर विभिन्न प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा और कुछ निर्णय लिया जाएगा। संबंधित घटनाक्रम में पीएमएल-एन नवाज शरीफ के बजाय शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित करने पर भी विचार कर रहा है। नवाज रिकॉर्ड चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार थे लेकिन उन्हें अपना मन बदलना पड़ा क्योंकि वह गठबंधन सरकार का नेतृत्व नहीं करना चाहते।(भाषा)

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(सज्जाद हुसैन) इस्लामाबाद, 12 फरवरी। इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के नेता बैरिस्टर गौहर अली खान ने कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन सरकार बनाने के लिए प्रतिद्वंद्वी पीएमएल-एन या पीपीपी से हाथ नहीं मिलाएगी और नवनिर्वाचित संसद में बहुमत होने के बावजूद विपक्ष में बैठेगी। पिछले सप्ताह के आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने सबसे अधिक संसदीय सीटें हासिल कीं। इन निर्दलीय उम्मीदवारों में ज्यादातर खान की पीटीआई से जुड़े हैं। पीटीआई के पास हालांकि 266 सदस्यीय नेशनल असेंबली में अपने दम पर सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं। गौहर खान ने डान अखबार को बताया, हम उनमें से दोनों (पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी) के साथ सहज महसूस नहीं करते हैं। सरकार बनाने या उनके साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर किसी से कोई बातचीत नहीं होगी। (उनके साथ) सरकार बनाने से बेहतर है कि हम विपक्ष में बैठें, लेकिन हमें लगता है कि हमारे पास बहुमत है। प्रारंभिक परिणामों के अनुसार, नेशनल असेंबली में निर्दलीय उम्मीदवारों ने 101 सीटें जीतीं। इनमें से ज्यादातर को पीटीआई का समर्थन था। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन को 75 सीटें मिलीं, जबकि पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी की पीपीपी ने 54 और एमक्यूएम-पी ने 17 सीटें हासिल कीं। अन्य पार्टियों को 17 सीटें मिलीं जबकि एक सीट पर नतीजा रोका गया है। पीटीआई ने हालांकि शुरू में सरकार बनाने का दावा किया था लेकिन शुरुआत से ही इसकी संभावनाएं मुश्किल दिख रही थीं क्योंकि सरकार बनाने के लिए 336 सीटों वाले सदन में कम से कम 169 सीटों की जरूरत है। कुल 266 सीटों पर सीधे चुनाव लड़ा जाता है जबकि महिलाओं के लिए आरक्षित 60 सीटें और अल्पसंख्यकों के लिये 10 सीटें जीतने वाली पार्टियों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर आवंटित की जाती हैं। पीटीआई को क्योंकि एक ही पार्टी के रूप में समान चिन्ह के साथ चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं थी, इसलिए वह आरक्षित सीटें पाने के लिए योग्य नहीं है। गौहर ने कहा कि पार्टी ने इसलिए विपक्षी में बैठने का फैसला किया, जिससे गठबंधन बनाने के लिए पीएमएल-एन और पीपीपी के साथ-साथ अन्य के लिए मैदान खुला है। उन्होंने कहा कि पीटीआई एक मजबूत विपक्ष बनेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी के संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने केंद्र, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब प्रांत में सरकार बनाने के निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा, हम विधानसभाओं के बाहर नहीं रहेंगे या बाहर नहीं बैठेंगे। हमें संसद में बैठना होगा और वहां सभी समस्याओं का समाधान ढूंढना होगा। जाहिरा तौर पर यह पार्टी के 2014 में संसद के बाहर रहने के साथ-साथ 2023 में मध्यावधि चुनाव कराने के लिए खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब विधानसभाओं को भंग करने के उनके फैसले का परोक्ष संदर्भ है। इस बीच, नतीजे आने के तुरंत बाद दोनों प्रमुख दलों के बीच गठबंधन सरकार के लिए बातचीत शुरू हो गई। सूत्रों ने कहा कि अब तक पीएमएल-एन और पीपीपी और अन्य दलों के नेताओं के बीच खुले में और बंद दरवाजों के पीछे कई बैठक हो चुकी हैं। पीएमएल-एन के एक नेता के मुताबिक, मुख्य बाधा यह है कि सरकार का नेतृत्व कौन करेगा क्योंकि दोनों दल अपने उम्मीदवारों को आगे बढ़ा रहे हैं लेकिन काफी चर्चा के बाद कोई बीच का रास्ता निकल सकता है। पीपीपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी बिलावल भुट्टो जरदारी को प्रधानमंत्री बनाने की अपनी मांग से पीछे नहीं हट रही है क्योंकि चुनाव से पहले ही पीपीपी की केंद्रीय कार्यकारी समिति (सीईसी) ने इस पद के लिए उनका समर्थन किया था। एक स्वतंत्र सूत्र ने कहा कि दोनों दलों के बीच पांच साल के कार्यकाल को विभाजित करने के एक नए फॉर्मूले पर चर्चा की जा रही है और यह दोनों समूहों के लिए स्वीकार्य हो सकता है। सूत्र ने कहा, यह प्रस्तावित किया गया है कि पीएमएल-एन उम्मीदवार तीन साल के लिए प्रधानमंत्री रहेगा जबकि दो साल के लिए पीपीपी नेता इस पद पर रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह हालांकि तय नहीं हो पाया कि पहला कार्यकाल किसे मिलेगा। सूत्र ने कहा कि पीपीपी की सीईसी की सोमवार को बैठक होनी है, जहां पीएमएल-एन के साथ चर्चा के आधार पर विभिन्न प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा और कुछ निर्णय लिया जाएगा। संबंधित घटनाक्रम में पीएमएल-एन नवाज शरीफ के बजाय शहबाज शरीफ को प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित करने पर भी विचार कर रहा है। नवाज रिकॉर्ड चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार थे लेकिन उन्हें अपना मन बदलना पड़ा क्योंकि वह गठबंधन सरकार का नेतृत्व नहीं करना चाहते।(भाषा)