फिल्मकारों को लैंगिक भेदभाव से परे देखा जाना चाहिए, अभिनेत्रियों ने वेतन असमानता पर जताई चिंता
फिल्मकारों को लैंगिक भेदभाव से परे देखा जाना चाहिए, अभिनेत्रियों ने वेतन असमानता पर जताई चिंता
मुंबई/जयपुर, 8 मार्च। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर फिल्म उद्योग से जुड़े कई निर्देशकों और अभिनेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अब समय आ गया है जब फिल्मकारों का स्त्री-पुरुष के आधार पर वर्गीकृत करना बंद किया जाए और महिला कलाकारों को समान वेतन मिले।
निर्देशक शोनाली बोस ने कहा कि महिलाओं को हमेशा उनके लिंग के आधार पर फिल्मकार के रूप में देखा जाता है, जबकि उन्हें सिर्फ एक फिल्मकार माना जाना चाहिए।
निर्माता रंगीता पृथ्वीश नंदी ने भी कहा कि सिर्फ कौशल को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि लिंग को।
दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा कि अब महिला किरदारों की कहानियां विकसित हो रही हैं, जो सकारात्मक बदलाव है।
वहीं, माधुरी दीक्षित, मधु और दीया मिर्जा ने वेतन असमानता को लेकर चिंता जताई। दीक्षित ने कहा कि महिलाओं को बार-बार यह साबित करना पड़ता है कि वे भी दर्शकों को आकर्षित कर सकती हैं, लेकिन फिर भी वेतन में अंतर बना हुआ है।
दो बार ऑस्कर विजेता निर्माता गुनीत मोंगा ने कहा कि महिला कलाकारों को अधिक अवसर प्रदान करने की जरूरत है।
दीया मिर्जा ने माना कि वेतन असमानता में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
दक्षिण भारतीय अभिनेत्री ज्योतिका ने कहा कि महिला कलाकार अब विभिन्न भाषाओं में प्रमुख भूमिकाएँ निभा रही हैं।
निर्देशक सुधांशु सरिया और निर्माता हरमन बावेजा ने भी महिलाओं के फिल्म उद्योग में सशक्तिकरण की जरूरत को रेखांकित किया।(भाषा)
मुंबई/जयपुर, 8 मार्च। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर फिल्म उद्योग से जुड़े कई निर्देशकों और अभिनेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि अब समय आ गया है जब फिल्मकारों का स्त्री-पुरुष के आधार पर वर्गीकृत करना बंद किया जाए और महिला कलाकारों को समान वेतन मिले।
निर्देशक शोनाली बोस ने कहा कि महिलाओं को हमेशा उनके लिंग के आधार पर फिल्मकार के रूप में देखा जाता है, जबकि उन्हें सिर्फ एक फिल्मकार माना जाना चाहिए।
निर्माता रंगीता पृथ्वीश नंदी ने भी कहा कि सिर्फ कौशल को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, न कि लिंग को।
दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा कि अब महिला किरदारों की कहानियां विकसित हो रही हैं, जो सकारात्मक बदलाव है।
वहीं, माधुरी दीक्षित, मधु और दीया मिर्जा ने वेतन असमानता को लेकर चिंता जताई। दीक्षित ने कहा कि महिलाओं को बार-बार यह साबित करना पड़ता है कि वे भी दर्शकों को आकर्षित कर सकती हैं, लेकिन फिर भी वेतन में अंतर बना हुआ है।
दो बार ऑस्कर विजेता निर्माता गुनीत मोंगा ने कहा कि महिला कलाकारों को अधिक अवसर प्रदान करने की जरूरत है।
दीया मिर्जा ने माना कि वेतन असमानता में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
दक्षिण भारतीय अभिनेत्री ज्योतिका ने कहा कि महिला कलाकार अब विभिन्न भाषाओं में प्रमुख भूमिकाएँ निभा रही हैं।
निर्देशक सुधांशु सरिया और निर्माता हरमन बावेजा ने भी महिलाओं के फिल्म उद्योग में सशक्तिकरण की जरूरत को रेखांकित किया।(भाषा)