मुनव्वर राना बदलाव के शायर के तौर पर हमेशा याद रहेंगे
मुनव्वर राना बदलाव के शायर के तौर पर हमेशा याद रहेंगे
शायर के तौर पर मुनव्वर राना का नाम उन बड़े रचनाकारों में मकबूल रहेगा, जिन्होंने कुछ नया दिया. ग़ज़ल को नई पहचान दी. महबूबा की जुल्फों में उलझी ग़ज़ल को पारिवारिक रिश्तों में उतारा. उनका नायक प्रेम - वियोग की जगह जिम्मेदारियां पूरी करने की फ़िक्र में लगा दिखता है. मां, माटी और मुल्क को ग़ज़ल का विषय बनाने वाले इस शायर को कुछ नजदीक से देखने का मौका मिला. उनका रचनाकर्म हमेशा कायम रहेगा और इंसानी रिश्तों को दुलारते, सुलझाते वक्त उनके शेर लोगों को याद आते रहेंगे. शेरों की तरह ही उनका गद्य लेखन भी अपने प्रभाव और प्रवाह के लिए हमेशा याद किए जाता रहेगा.
शायर के तौर पर मुनव्वर राना का नाम उन बड़े रचनाकारों में मकबूल रहेगा, जिन्होंने कुछ नया दिया. ग़ज़ल को नई पहचान दी. महबूबा की जुल्फों में उलझी ग़ज़ल को पारिवारिक रिश्तों में उतारा. उनका नायक प्रेम - वियोग की जगह जिम्मेदारियां पूरी करने की फ़िक्र में लगा दिखता है. मां, माटी और मुल्क को ग़ज़ल का विषय बनाने वाले इस शायर को कुछ नजदीक से देखने का मौका मिला. उनका रचनाकर्म हमेशा कायम रहेगा और इंसानी रिश्तों को दुलारते, सुलझाते वक्त उनके शेर लोगों को याद आते रहेंगे. शेरों की तरह ही उनका गद्य लेखन भी अपने प्रभाव और प्रवाह के लिए हमेशा याद किए जाता रहेगा.