लिंगराज महोत्सव : भुवनेश्वर में बिलासपुर की बेटियों ने मचाई धूम

बिलासपुर। अंतरराष्ट्रीय कथक और ओडिसी नृत्यांगना आंचल पांडेय एवं उनके शिष्यों ने भुवनेश्वर में आयोजित लिंगराज महोत्सव 2024 के उद्घाटन समारोह में कत्थक एवं लोक नृत्य की शानदार प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम की शुरुवात में गणेशा वंदना, शुद्ध कथक, अर्ध शास्त्रीय नृत्य के बाद भारत के विभिन्न राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान,दक्षिण भारत, उड़ीसा, महाराष्ट्र के लोक नृत्यों को दर्शाया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। इस महोत्सव में विदेश के कलाकारों के साथ ही देश भर के संगीत व संस्कृति प्रेमी शामिल हुए। पूर्वी चंद्रा, एंजल साव, उदिति कौशिक, अनन्या साव, श्रुति देवांगन, रुचि देवांगन यह सब बिलासपुर शहर की बेटियां इस महोत्सव में भाग लेकर सम्मानित हुईं। कलाकारों का कहना था कि भगवान शिव के सामने नृत्य करने में एक सुंदर आनंद था क्योंकि हम जब मंच में प्रवेश करते थे तो उनके सामने भगवान लिंगराज का मंदिर था और नित्य के देवता के सामने नृत्य करते समय उनकी अपनी शक्ति में कुछ अलग महसूस होता था, जो की उनके जीवन का एक अद्भुत पल रहा।इसके लिए वे आंचल पांडेय के ओडिसी गुरू, गुरू गजेंद्र पांडा को एवं महोत्सव की चयन समिति के प्रति आभार प्रकट करती हैं जिन्होने इस महोत्सव में शामिल होने का मौका दिया। आंचल पांडेय अब कला की बारीकियों और घरानों व परंपराओं से सीधी खूबियों को नवोदित कलाकारों के बीच बांटने और उसे एक मजबूत प्लेटफार्म देने के उद्देश्य से नृत्य धारा डान्स फाउंडेशन की शुरुआत की है। फाउंडेशन में नवोदित कलाकार कला की बारीकियां सीखकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही हैँ। आंचल का कहना है कि फाउंडेशन के माध्यम से वे हमारी संस्कृति, शास्त्रीय संगीत और विलुप्त होते नृत्य को जीवंत बनाने का प्रयास कर रही हैं। उनका कहना है कि बच्चे में टेलेंट है तो वह अवश्य दिखेगा। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को बरकरार रखने की कोशिश करनी चाहिए। हमारे यहां बच्चों में सीखने की ललक है और वे कथक, ओडीसी के साथ लोक नृत्य व शास्त्रीय नृत्य में धीरे धीरे पारंगत हो रही हैं।

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बिलासपुर। अंतरराष्ट्रीय कथक और ओडिसी नृत्यांगना आंचल पांडेय एवं उनके शिष्यों ने भुवनेश्वर में आयोजित लिंगराज महोत्सव 2024 के उद्घाटन समारोह में कत्थक एवं लोक नृत्य की शानदार प्रस्तुति देकर सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम की शुरुवात में गणेशा वंदना, शुद्ध कथक, अर्ध शास्त्रीय नृत्य के बाद भारत के विभिन्न राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, पंजाब, राजस्थान,दक्षिण भारत, उड़ीसा, महाराष्ट्र के लोक नृत्यों को दर्शाया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। इस महोत्सव में विदेश के कलाकारों के साथ ही देश भर के संगीत व संस्कृति प्रेमी शामिल हुए। पूर्वी चंद्रा, एंजल साव, उदिति कौशिक, अनन्या साव, श्रुति देवांगन, रुचि देवांगन यह सब बिलासपुर शहर की बेटियां इस महोत्सव में भाग लेकर सम्मानित हुईं। कलाकारों का कहना था कि भगवान शिव के सामने नृत्य करने में एक सुंदर आनंद था क्योंकि हम जब मंच में प्रवेश करते थे तो उनके सामने भगवान लिंगराज का मंदिर था और नित्य के देवता के सामने नृत्य करते समय उनकी अपनी शक्ति में कुछ अलग महसूस होता था, जो की उनके जीवन का एक अद्भुत पल रहा।इसके लिए वे आंचल पांडेय के ओडिसी गुरू, गुरू गजेंद्र पांडा को एवं महोत्सव की चयन समिति के प्रति आभार प्रकट करती हैं जिन्होने इस महोत्सव में शामिल होने का मौका दिया। आंचल पांडेय अब कला की बारीकियों और घरानों व परंपराओं से सीधी खूबियों को नवोदित कलाकारों के बीच बांटने और उसे एक मजबूत प्लेटफार्म देने के उद्देश्य से नृत्य धारा डान्स फाउंडेशन की शुरुआत की है। फाउंडेशन में नवोदित कलाकार कला की बारीकियां सीखकर आगे बढ़ने का प्रयास कर रही हैँ। आंचल का कहना है कि फाउंडेशन के माध्यम से वे हमारी संस्कृति, शास्त्रीय संगीत और विलुप्त होते नृत्य को जीवंत बनाने का प्रयास कर रही हैं। उनका कहना है कि बच्चे में टेलेंट है तो वह अवश्य दिखेगा। हमें अपनी सांस्कृतिक विरासत को बरकरार रखने की कोशिश करनी चाहिए। हमारे यहां बच्चों में सीखने की ललक है और वे कथक, ओडीसी के साथ लोक नृत्य व शास्त्रीय नृत्य में धीरे धीरे पारंगत हो रही हैं।