विज्ञान और तकनीकी नवाचारों से सीखने और समझने का अवसर

छत्तीसगढ़ संवाददाता दुर्ग, 13 फरवरी। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग एवं आईआईटी भिलाई के संयुक्त तत्वाधान में रिसेंट ट्रेंड इन साइंस एंड इंजीनियरिंग अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन के तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल से डॉ.नारायण प्रसाद अधिकारी ने कहा कि आज के परिवेश में अधिकतम समस्याओं का समाधान टेक्नोलॉजी से ही संभव है। अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन के माध्यम से युवाओं को विज्ञान और तकनीकी से संबंधित हो रहे नवाचारों से सीखने और समझने के विभिन्न अवसर प्राप्त होते हैं। मुझे विश्वास है कि 3 दिनों के इस अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन में युवा वैज्ञानिक, वरिष्ठ वैज्ञानिकों के ज्ञान का अनुभव एवं लाभ शोधार्थियों को प्राप्त होगा। समापन सत्र में गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में उपस्थित त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल से प्रो.रामेश्वर अधिकारी ने अपने उद्बोधन में इस अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन की सफलता की प्रशंसा की। ऐसे आयोजनों से शोधार्थियों को बहुत नवीनतम जानकारी प्राप्त होती है तथा शोधार्थियों को भविष्य में आगे बढऩे में उपयोगी सिद्ध होगा। नवीनतम टेक्नोलॉजी से विद्यार्थियों को अवगत कराने हेतु समय-समय पर इस तरह के आयोजन अति आवश्यक है। शोधार्थियों को नई तकनीक से मानव जीवन को सरल एवं सुगम बनाने की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए। प्राचार्य डॉ. एम. ए. सिद्दीकी ने विद्यार्थियों को सतत परिश्रम करते हुए आगे बढऩे की प्रेरणा दी, उन्होंने कहा कि यदि इस सम्मेलन में शोधकर्ता नई टेक्नोलॉजी जानकर उसको अपने शोध में सम्मिलित करें तो इस सम्मेलन की सार्थकता सिद्ध हो जाएगी तथा राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने के लिए शोधार्थियों का प्रयास सफल होगा। सम्मेलन के संयोजक डॉ. विकास दुबे ने सम्मेलन की सारगर्भित जानकारी प्रदान की इस सम्मेलन में विभिन्न देशो नेपाल, चाइना, साउथ अफ्रीका, पोलैंड, नाइजीरिया, म्यांमार और भारत के विभिन्न प्रांतों से शोधकर्ताओ ने अपने शोध कार्य पर चर्चा की। डॉ सीतेश्वरी चंद्राकर ने मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतीकरण में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों के नामों की घोषणा की। पोस्टर प्रस्तुतीकरण में तृतीय स्थान पर आशुतोष पटेल, द्वितीय स्थान पर अदिति बंजारे और प्रथम स्थान पर एन. आई. टी. वारंगल से पी. चैतन्य रहे। मौखिक प्रस्तुतीकरण में तृतीय स्थान पर शिरीन, द्वितीय स्थान पर नीरज वर्मा और प्रथम स्थान राजरूपा बनर्जी ने प्राप्त किया। सांत्वना पुरस्कार सपना सोनी और चंद्रशेखर वर्मा को दिया गया। सभी उत्कृष्ट शोधार्थियों को पुरुस्कार एवं प्रमाण पत्र अतिथियों, प्राचार्य और सम्मलेन के संयोजको द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ.कुसुमांजलि देशमुख ने किया और धन्यवाद् ज्ञापन डॉ.सुधन्वा पात्रा द्वारा दिया गया। अपने फीडबैक में शोधार्थियों ने इस यादगार सम्मलेन को अधिक से अधिक नवीनतम जानकारी प्राप्त करने का माध्यम बताया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ जगजीत कौर सलूजा डॉ. आर. एस. सिंह, डॉ अनीता शुक्ला डॉ सीतेश्वरी चंद्राकर, डॉ अभिषेक कुमार मिश्रा, डॉक्टर कुसुमांजलि देशमुख, डॉ विकास दुबे, डॉ ममता परगनिहा, भूपेंद्र दास, नीरज यादव, पायल नामदेव, खुशबू साहू , डॉ. प्रीति चन्द्राकर सहित विभिन्न विभागों के प्राध्यापक शोधकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में 200 से अधिक शोधार्थियों ने भाग लिया, सभी उपस्थित शोधार्थी को प्रमाण पत्र वितरण किया गया। सभी शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों ने इस सम्मेलन की प्रशंसा की एवं आयोजित टीम को बधाई दी।

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छत्तीसगढ़ संवाददाता दुर्ग, 13 फरवरी। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग एवं आईआईटी भिलाई के संयुक्त तत्वाधान में रिसेंट ट्रेंड इन साइंस एंड इंजीनियरिंग अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन के तीन दिवसीय कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल से डॉ.नारायण प्रसाद अधिकारी ने कहा कि आज के परिवेश में अधिकतम समस्याओं का समाधान टेक्नोलॉजी से ही संभव है। अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन के माध्यम से युवाओं को विज्ञान और तकनीकी से संबंधित हो रहे नवाचारों से सीखने और समझने के विभिन्न अवसर प्राप्त होते हैं। मुझे विश्वास है कि 3 दिनों के इस अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन में युवा वैज्ञानिक, वरिष्ठ वैज्ञानिकों के ज्ञान का अनुभव एवं लाभ शोधार्थियों को प्राप्त होगा। समापन सत्र में गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में उपस्थित त्रिभुवन विश्वविद्यालय काठमांडू नेपाल से प्रो.रामेश्वर अधिकारी ने अपने उद्बोधन में इस अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन की सफलता की प्रशंसा की। ऐसे आयोजनों से शोधार्थियों को बहुत नवीनतम जानकारी प्राप्त होती है तथा शोधार्थियों को भविष्य में आगे बढऩे में उपयोगी सिद्ध होगा। नवीनतम टेक्नोलॉजी से विद्यार्थियों को अवगत कराने हेतु समय-समय पर इस तरह के आयोजन अति आवश्यक है। शोधार्थियों को नई तकनीक से मानव जीवन को सरल एवं सुगम बनाने की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए। प्राचार्य डॉ. एम. ए. सिद्दीकी ने विद्यार्थियों को सतत परिश्रम करते हुए आगे बढऩे की प्रेरणा दी, उन्होंने कहा कि यदि इस सम्मेलन में शोधकर्ता नई टेक्नोलॉजी जानकर उसको अपने शोध में सम्मिलित करें तो इस सम्मेलन की सार्थकता सिद्ध हो जाएगी तथा राष्ट्र को शिखर पर पहुंचाने के लिए शोधार्थियों का प्रयास सफल होगा। सम्मेलन के संयोजक डॉ. विकास दुबे ने सम्मेलन की सारगर्भित जानकारी प्रदान की इस सम्मेलन में विभिन्न देशो नेपाल, चाइना, साउथ अफ्रीका, पोलैंड, नाइजीरिया, म्यांमार और भारत के विभिन्न प्रांतों से शोधकर्ताओ ने अपने शोध कार्य पर चर्चा की। डॉ सीतेश्वरी चंद्राकर ने मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतीकरण में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों के नामों की घोषणा की। पोस्टर प्रस्तुतीकरण में तृतीय स्थान पर आशुतोष पटेल, द्वितीय स्थान पर अदिति बंजारे और प्रथम स्थान पर एन. आई. टी. वारंगल से पी. चैतन्य रहे। मौखिक प्रस्तुतीकरण में तृतीय स्थान पर शिरीन, द्वितीय स्थान पर नीरज वर्मा और प्रथम स्थान राजरूपा बनर्जी ने प्राप्त किया। सांत्वना पुरस्कार सपना सोनी और चंद्रशेखर वर्मा को दिया गया। सभी उत्कृष्ट शोधार्थियों को पुरुस्कार एवं प्रमाण पत्र अतिथियों, प्राचार्य और सम्मलेन के संयोजको द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ.कुसुमांजलि देशमुख ने किया और धन्यवाद् ज्ञापन डॉ.सुधन्वा पात्रा द्वारा दिया गया। अपने फीडबैक में शोधार्थियों ने इस यादगार सम्मलेन को अधिक से अधिक नवीनतम जानकारी प्राप्त करने का माध्यम बताया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ जगजीत कौर सलूजा डॉ. आर. एस. सिंह, डॉ अनीता शुक्ला डॉ सीतेश्वरी चंद्राकर, डॉ अभिषेक कुमार मिश्रा, डॉक्टर कुसुमांजलि देशमुख, डॉ विकास दुबे, डॉ ममता परगनिहा, भूपेंद्र दास, नीरज यादव, पायल नामदेव, खुशबू साहू , डॉ. प्रीति चन्द्राकर सहित विभिन्न विभागों के प्राध्यापक शोधकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में 200 से अधिक शोधार्थियों ने भाग लिया, सभी उपस्थित शोधार्थी को प्रमाण पत्र वितरण किया गया। सभी शोधार्थियों एवं वैज्ञानिकों ने इस सम्मेलन की प्रशंसा की एवं आयोजित टीम को बधाई दी।