हत्या के मामले में कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

पिता और बड़े भाई का किया था मर्डर मनेन्द्रगढ़। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मनेंद्रगढ़ विवेक कुमार तिवारी की अदालत ने पैसे के लेन-देन को लेकर आक्रोशित युवक के द्वारा अपने पिता व बड़े भाई की डंडे से पीटकर हत्या कर दिए जाने के जुर्म में दोषसिद्ध पाए जाने पर उसे 2 बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक गोपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि जनकपुर थानांतर्गत ग्राम जोलगी निवासी प्रार्थिया सुकवरिया बसोर ने बहू तारावती सहित 10 मई 2021 को जनकपुर थाने में आकर रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके पुत्र गुलाब व पति चरकाराम के सिर पर छोटे पुत्र धनजीत द्वारा पैसा लेन-देन की बात को लेकर हत्या करने की नीयत से प्राणघातक वार किया जिससे उनकी मृत्यु हो गई है। पुलिस द्वारा आरोपी धनजीत बसोर के खिलाफ हत्या का अपराध दर्ज कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। न्यायाधीश ने अपराध की प्रकृति व अन्य समस्त परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त जनकपुर थानांतर्गत ग्राम जोलगी निवासी 22 वर्षीय धनजीत बसोर को आईपीसी की धारा 302 के तहत 2 बार आजीवन कारावास व 5-5 सौ रूपए अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड की राशि जमा नहीं किए जाने पर अभियुक्त को 2-2 को वर्ष का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा।

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पिता और बड़े भाई का किया था मर्डर मनेन्द्रगढ़। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मनेंद्रगढ़ विवेक कुमार तिवारी की अदालत ने पैसे के लेन-देन को लेकर आक्रोशित युवक के द्वारा अपने पिता व बड़े भाई की डंडे से पीटकर हत्या कर दिए जाने के जुर्म में दोषसिद्ध पाए जाने पर उसे 2 बार आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक गोपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि जनकपुर थानांतर्गत ग्राम जोलगी निवासी प्रार्थिया सुकवरिया बसोर ने बहू तारावती सहित 10 मई 2021 को जनकपुर थाने में आकर रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके पुत्र गुलाब व पति चरकाराम के सिर पर छोटे पुत्र धनजीत द्वारा पैसा लेन-देन की बात को लेकर हत्या करने की नीयत से प्राणघातक वार किया जिससे उनकी मृत्यु हो गई है। पुलिस द्वारा आरोपी धनजीत बसोर के खिलाफ हत्या का अपराध दर्ज कर अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। न्यायाधीश ने अपराध की प्रकृति व अन्य समस्त परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए अभियुक्त जनकपुर थानांतर्गत ग्राम जोलगी निवासी 22 वर्षीय धनजीत बसोर को आईपीसी की धारा 302 के तहत 2 बार आजीवन कारावास व 5-5 सौ रूपए अर्थदंड से दंडित किया। अर्थदंड की राशि जमा नहीं किए जाने पर अभियुक्त को 2-2 को वर्ष का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा।