भ्रष्टाचार के आरोप में फरार टीआई को अग्रिम जमानत:वकील के तर्क- आरोपी एएसआई से कोई लेना-देना नहीं; कार्रवाई कराई थी इस लिए फंसा दिया

भोपाल में फर्जी कॉल सेंटर संचालकों को बचाने के एवज में रिश्वत मांगने के आरोप में अंडर ग्राउंड हुए टीआई जितेंद्र गढ़वाल को जबलुपर हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। उनकी जमानत को मंजूर कर लिया गया है। हाईकोर्ट जज मनिंदर एस भट्‌टी की कोर्ट ने उनको अग्रिम जमानत का लाभ दिया है। इधर केस के मुख्य आरोपी एएसआई पवन रघुवंशी अब भी फरार है। उसके साथ एएसआई मनोज सिंह और प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सिंह सहित अन्य आरोपी मोइन अंशुल पार्षद भी फरार हैं। बता दें कि पवन पर रिश्वत के 4.94 लाख रुपए घर में रखने के आरोप हैं। वह लाइन हाजिर होने के बाद भी अहम केसों की डायरियां अपने साथ ले गया था। उसका आचरण लगातार संदिग्ध था। कार्यवाहक निरीक्षक जितेंद्र गढ़वाल ने डीसीपी जोन-1 को गोपनीय पत्र के माध्यम से उसके संदिग्ध आचरण की जानकारी दी थी। इस आधार पर 28 फरवरी को उसे लाइन हाजिर किया गया। इसकी रिपोर्ट रोजनामचा में भी दर्ज की गई थी। उनके वकील की ओर से यह तमाम तर्क कोर्ट में दिए। जिसके आधार पर उन्हें जमानत का लाभ मिला। तत्काल डायरियां सौंपने का आदेश दिया था टीआई ने पवन को लाइन हाजिर किए जाने के बाद तत्काल प्रभाव से उसे अपने पास मौजूद तमाम केस डायरियों का चार्ज दूसरे को ट्रांसफर करने के आदेश दिए गए, लेकिन वह डायरियां अपने साथ लेकर चला गया। इन डायरियों में फर्जी कॉल सेंटर केस की डायरी भी मौजूद थी। इस बात की रिपोर्ट भी रोजनामचा में दर्ज है। सुबह तक जिस थाने में टीआई थे, शाम को वहीं केस दर्ज रिश्वत के इस मामले में टीआई जितेंद्र गढ़वाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज है। खास बात यह है कि जिस ऐशबाग थाने में जितेंद्र गढ़वाल 5 मार्च सुबह 11 बजे तक बतौर टीआई पदस्थ थे, उसी थाने में उन पर एफआईआर दर्ज हुई। उनके साथ पवन रघुवंशी, प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र और टीकमगढ़ से रिश्वत देने वाले अंशुल उर्फ मोना जैन को आरोपी बनाया गया है। ठगी के कॉल सेंटर के इसी मामले में कार्रवाई में लापरवाही को लेकर पुलिस ने ऐशबाग थाना टीआई जितेंद्र गढ़वाल सहित चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया था। पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया कि चारों आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।

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भोपाल में फर्जी कॉल सेंटर संचालकों को बचाने के एवज में रिश्वत मांगने के आरोप में अंडर ग्राउंड हुए टीआई जितेंद्र गढ़वाल को जबलुपर हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। उनकी जमानत को मंजूर कर लिया गया है। हाईकोर्ट जज मनिंदर एस भट्‌टी की कोर्ट ने उनको अग्रिम जमानत का लाभ दिया है। इधर केस के मुख्य आरोपी एएसआई पवन रघुवंशी अब भी फरार है। उसके साथ एएसआई मनोज सिंह और प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सिंह सहित अन्य आरोपी मोइन अंशुल पार्षद भी फरार हैं। बता दें कि पवन पर रिश्वत के 4.94 लाख रुपए घर में रखने के आरोप हैं। वह लाइन हाजिर होने के बाद भी अहम केसों की डायरियां अपने साथ ले गया था। उसका आचरण लगातार संदिग्ध था। कार्यवाहक निरीक्षक जितेंद्र गढ़वाल ने डीसीपी जोन-1 को गोपनीय पत्र के माध्यम से उसके संदिग्ध आचरण की जानकारी दी थी। इस आधार पर 28 फरवरी को उसे लाइन हाजिर किया गया। इसकी रिपोर्ट रोजनामचा में भी दर्ज की गई थी। उनके वकील की ओर से यह तमाम तर्क कोर्ट में दिए। जिसके आधार पर उन्हें जमानत का लाभ मिला। तत्काल डायरियां सौंपने का आदेश दिया था टीआई ने पवन को लाइन हाजिर किए जाने के बाद तत्काल प्रभाव से उसे अपने पास मौजूद तमाम केस डायरियों का चार्ज दूसरे को ट्रांसफर करने के आदेश दिए गए, लेकिन वह डायरियां अपने साथ लेकर चला गया। इन डायरियों में फर्जी कॉल सेंटर केस की डायरी भी मौजूद थी। इस बात की रिपोर्ट भी रोजनामचा में दर्ज है। सुबह तक जिस थाने में टीआई थे, शाम को वहीं केस दर्ज रिश्वत के इस मामले में टीआई जितेंद्र गढ़वाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज है। खास बात यह है कि जिस ऐशबाग थाने में जितेंद्र गढ़वाल 5 मार्च सुबह 11 बजे तक बतौर टीआई पदस्थ थे, उसी थाने में उन पर एफआईआर दर्ज हुई। उनके साथ पवन रघुवंशी, प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र और टीकमगढ़ से रिश्वत देने वाले अंशुल उर्फ मोना जैन को आरोपी बनाया गया है। ठगी के कॉल सेंटर के इसी मामले में कार्रवाई में लापरवाही को लेकर पुलिस ने ऐशबाग थाना टीआई जितेंद्र गढ़वाल सहित चार पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया था। पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया कि चारों आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है।