बालाघाट में नूतन कला निकेतन का नाट्य समारोह:रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित नाटकों का हुआ मंचन
बालाघाट में नूतन कला निकेतन का नाट्य समारोह:रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित नाटकों का हुआ मंचन
बालाघाट की प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्था नूतन कला निकेतन के 14वें नाट्य समारोह का समापन 5 मार्च को हुआ। पांच दिवसीय इस समारोह में अलग-अलग शहरों से आए कलाकारों ने सामाजिक मुद्दों पर आधारित नाटकों का मंचन किया। समारोह में जबलपुर, भोपाल, बैतूल, खैरागढ़, बालाघाट और सिवनी के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। समापन दिवस पर दो प्रमुख नाटकों का मंचन हुआ। बालाघाट निकेतन द्वारा प्रस्तुत 'निराश पीढ़ी' ने युवाओं में बढ़ते अवसाद और आत्महत्या की समस्या को उजागर किया। नाटक ने दर्शाया कि अभिभावकों के उचित मार्गदर्शन के अभाव में युवा कैसे कुसंगति और अपराध की ओर बढ़ जाते हैं। सिवनी के कलाकारों ने रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया। सभी नाटकों को दर्शकों का भरपूर प्रतिसाद मिला। निकेतन के अध्यक्ष रूप बनवाले ने समापन समारोह में सभी निर्देशकों और कलाकारों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। उन्होंने बताया कि संस्था लगातार सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में जुटी है। यह नाट्य समारोह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की सी.एफ.पी.जी.एस. योजना के तहत आयोजित किया गया।
बालाघाट की प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संस्था नूतन कला निकेतन के 14वें नाट्य समारोह का समापन 5 मार्च को हुआ। पांच दिवसीय इस समारोह में अलग-अलग शहरों से आए कलाकारों ने सामाजिक मुद्दों पर आधारित नाटकों का मंचन किया। समारोह में जबलपुर, भोपाल, बैतूल, खैरागढ़, बालाघाट और सिवनी के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। समापन दिवस पर दो प्रमुख नाटकों का मंचन हुआ। बालाघाट निकेतन द्वारा प्रस्तुत 'निराश पीढ़ी' ने युवाओं में बढ़ते अवसाद और आत्महत्या की समस्या को उजागर किया। नाटक ने दर्शाया कि अभिभावकों के उचित मार्गदर्शन के अभाव में युवा कैसे कुसंगति और अपराध की ओर बढ़ जाते हैं। सिवनी के कलाकारों ने रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया। सभी नाटकों को दर्शकों का भरपूर प्रतिसाद मिला। निकेतन के अध्यक्ष रूप बनवाले ने समापन समारोह में सभी निर्देशकों और कलाकारों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। उन्होंने बताया कि संस्था लगातार सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में जुटी है। यह नाट्य समारोह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की सी.एफ.पी.जी.एस. योजना के तहत आयोजित किया गया।