बालाघाट में 468 में से 35 लोगों को मिले घर:पीएम आवास योजना में 7 सालों बाद भी पूरा नहीं हुआ काम, बिजली-पानी की भी समस्या
बालाघाट में 468 में से 35 लोगों को मिले घर:पीएम आवास योजना में 7 सालों बाद भी पूरा नहीं हुआ काम, बिजली-पानी की भी समस्या
बालाघाट में प्रधानमंत्री आवास योजना की स्थिति चिंताजनक है। 2017 में शुरू हुई 55 करोड़ की इस योजना में वैनगंगा नदी के फिल्टर प्लांट के पास 468 मकानों का निर्माण प्रस्तावित था। हालांकि 7 साल बाद भी केवल 72 आवास ही पूरे हो सके हैं। इनमें से भी मात्र 35 हितग्राहियों को ही आवास सौंपे गए हैं, जबकि 3 जनवरी को 72 हितग्राहियों को चाभी देने की घोषणा की गई थी। स्थिति यह है कि आवंटित 35 मकानों में से केवल एक परिवार ही वहां रह रहा है, जबकि एक अन्य मकान में मरम्मत का काम चल रहा है। आवासों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव बालाघाट के पीएम आवासों में बुनियादी सुविधाओं का गंभीर अभाव है। पीने के पानी की अलग व्यवस्था नहीं है, रात में अंधेरा रहता है। योजना की शुरुआत में तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष अनिल धुवारे के कार्यकाल में ईडब्ल्यूएस भवनों के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ था। कई लोगों ने 20 हजार रुपए जमा कर पंजीकरण कराया, लेकिन बैंक की ब्याज दरों और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कई हितग्राहियों ने अपनी जमा राशि वापस ले ली। आवास योजना की प्रभारी इंजीनियर अंशिका चौहान ने बताया कि अगर आवास योजना में कोई कमी है तो उसका निराकरण किया जाएगा, ताकि यहां रहने वाले हितग्राहियों को कोई दिक्कत न हो। दिसंबर 2025 तक पूरा होगा काम कुल योजना में ईडब्ल्यूएस के 468, एलआईजी के 72 और एमआईजी के 96 मकान बनाए जाने हैं। लेकिन निर्माण की धीमी गति और गुणवत्ता की कमी के कारण योजना का लक्ष्य अभी भी दूर है। हालांकि जिम्मेदार बताते है कि दिसंबर 2025 तक यह काम पूरा हो जाएगा। सरकार ने साफ कर दिया है कि निर्माण एजेंसी, एलआईजी और एमआईजी का विक्रय कर भवनों का काम पूरा करें। वर्तमान में यहां वॉल बनाने का काम किया जा रहा है, जबकि यहां योजना के तहत जो इंफ्रास्ट्रक्चर उद्यान और अन्य संसाधन के काम अधूरे पड़े है।
बालाघाट में प्रधानमंत्री आवास योजना की स्थिति चिंताजनक है। 2017 में शुरू हुई 55 करोड़ की इस योजना में वैनगंगा नदी के फिल्टर प्लांट के पास 468 मकानों का निर्माण प्रस्तावित था। हालांकि 7 साल बाद भी केवल 72 आवास ही पूरे हो सके हैं। इनमें से भी मात्र 35 हितग्राहियों को ही आवास सौंपे गए हैं, जबकि 3 जनवरी को 72 हितग्राहियों को चाभी देने की घोषणा की गई थी। स्थिति यह है कि आवंटित 35 मकानों में से केवल एक परिवार ही वहां रह रहा है, जबकि एक अन्य मकान में मरम्मत का काम चल रहा है। आवासों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव बालाघाट के पीएम आवासों में बुनियादी सुविधाओं का गंभीर अभाव है। पीने के पानी की अलग व्यवस्था नहीं है, रात में अंधेरा रहता है। योजना की शुरुआत में तत्कालीन नगरपालिका अध्यक्ष अनिल धुवारे के कार्यकाल में ईडब्ल्यूएस भवनों के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ था। कई लोगों ने 20 हजार रुपए जमा कर पंजीकरण कराया, लेकिन बैंक की ब्याज दरों और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में कई हितग्राहियों ने अपनी जमा राशि वापस ले ली। आवास योजना की प्रभारी इंजीनियर अंशिका चौहान ने बताया कि अगर आवास योजना में कोई कमी है तो उसका निराकरण किया जाएगा, ताकि यहां रहने वाले हितग्राहियों को कोई दिक्कत न हो। दिसंबर 2025 तक पूरा होगा काम कुल योजना में ईडब्ल्यूएस के 468, एलआईजी के 72 और एमआईजी के 96 मकान बनाए जाने हैं। लेकिन निर्माण की धीमी गति और गुणवत्ता की कमी के कारण योजना का लक्ष्य अभी भी दूर है। हालांकि जिम्मेदार बताते है कि दिसंबर 2025 तक यह काम पूरा हो जाएगा। सरकार ने साफ कर दिया है कि निर्माण एजेंसी, एलआईजी और एमआईजी का विक्रय कर भवनों का काम पूरा करें। वर्तमान में यहां वॉल बनाने का काम किया जा रहा है, जबकि यहां योजना के तहत जो इंफ्रास्ट्रक्चर उद्यान और अन्य संसाधन के काम अधूरे पड़े है।