छात्रा प्रवेश मामला, सांसद ने लिया संज्ञान प्राचार्य ने छात्रा और मीडिया पर दोष मढ़ा
girl admission case

छत्तीसगढ़ संवाददाता पिथौरा,23 नवंबर। स्थानीय कन्या हाईस्कूल में एक छात्रा को जाति प्रमाण पत्र के बगैर प्रवेश नहीं देने सम्बन्धी छत्तीसगढ़ में प्रकाशित खबर पर शुक्रवार को क्षेत्र की सांसद रूपकुमारी चौधरी ने संज्ञान में लेकर अपने पिथौरा कार्यालय से एक प्रतिनिधिमंडल कन्या शाला भेजा। प्रतिनिधि मंडल के सामने भी प्राचार्य ने छात्रा की गलती बताते हुए प्रवेश फार्म नहीं भरने की बात कहते हुए प्रदेश स्तर के पोर्टल को खुलवाने की चुनौती दे दी, वहीं छात्रा ने बताया कि उसे किसी ने नहीं कहा कि प्रवेश के लिए फार्म भरना पड़ता है। शुक्रवार को स्थानीय कन्या शाला में सांसद प्रतिनिधि मनमीत सिंह छाबड़ा अपने सहयोगियों के साथ पहुंचे। उनके स्कूल पहुंचते ही स्कूल का स्टाफ एकत्र होकर छात्रा और पत्रकारों की गलतियां बताने लगे। प्राचार्य श्री बरिहा ने अपनी सफाई देने के बजाय पीडि़त छात्रा पर ही पूरा दोष मढ़ दिया। इतना ही नहीं उन्होंने मीडिया को भी नहीं बख्शा। पत्रकारों के बारे में कहा गया कि जब वे छात्रा के भविष्य के लिए इतने ही चिंतित है तो पहले खबर प्रकाशन करना था। अब आप लोग प्रवेश वाले पोर्टल को खुलवा दीजिए, तभी प्रवेश हो पाएगा। फार्म भरवाने की जिम्मेदारी कक्षा शिक्षक की- शिखा सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वतंत्र पत्रकार शिखा दास ने उक्त मामले में कहा कि यदि कोई छात्र क्लास आ रही है और उसका प्रवेश नहीं हुआ है, तब कक्षा शिक्षक की जिम्मेदारी है कि वह स्वयं छात्रा का मार्गदर्शन कर प्रवेश की औपचारिकता पूर्ण करें। छात्रा के भविष्य से खिलवाड़ करने का शाला प्रबंधन को कोई अधिकार नहीं है। शाला प्रबंधन ने शासन के बेटी पढ़ाओ बेटी बढ़ाओ सहित शिक्षा के अधिकार योजना को कलंकित किया है। इस मामले में आरोपियों पर आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए। बालिका स्कूल में पुरुष शिक्षक नगर के इस एक मात्र कन्या हाई स्कूल में लगातार पुरुष शिक्षकों की ही पोस्टिंग की जा रही है। ज्ञात हो कि कुछ बालिकाओं के साथ यहां दुव्र्यवहार की घटनाएं भी हो चुकी है। इन घटनाओं का एक आरोपी पर मामला भी दर्ज है जो कि अब तक फरार बताया जाता है।यहां एक अरसे से महिला शिक्षकों की पोस्टिंग की मांग चल रही है। अनेक छात्राएं प्रवेश से वंचित, सामने आई अकेली छात्रा स्कूल की कुछ छात्राओं ने दबी जुबान यह भी बताया कि स्कूल में सभी शिक्षक पुरुष वर्ग के है लिहाजा किशोर उम्र की लड़कियां अपनी परेशानी भी किसी को बोल नहीं पाती। परीक्षाओं में नम्बर कटने के डर से वे किसी भी हालत में अपना नाम उजागर नहीं करना चाहती और न ही शिकायत करना चाहती हंै।