इंदौर में प्रमुख जैन समाजसेवी का निधन:पंडित जयसेनजी ने शिक्षा, धर्म और समाज सेवा में दिया 50 साल का योगदान
इंदौर में प्रमुख जैन समाजसेवी का निधन:पंडित जयसेनजी ने शिक्षा, धर्म और समाज सेवा में दिया 50 साल का योगदान
इंदौर की छावनी क्षेत्र के जैन समाज को गहरा आघात लगा है। समाज के प्रमुख स्तंभ और ज्योतिषाचार्य एम के जैन के पिता समाजसेवी पंडित जयसेनजी का निधन हो गया है। पंडित जयसेनजी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में समर्पित कर दिया। वे अनंतनाथ जिनालय में विभिन्न पदों पर रहे। जैन समाज की पत्रकारिता में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। वे सन्मति वाणी के आजीवन संपादक रहे। वीरनिकलंक पत्रिका के संपादक मंडल में रहकर स्व. रमेश कासलीवाल को मार्गदर्शन दिया। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने सन्मति स्कूल के महासचिव के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कंचनबाई श्राविका आश्रम और समवशरण मंदिर के विकास में ट्रस्टी के रूप में काम किया। धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा। उन्होंने कई धार्मिक नाटकों का निर्देशन किया। भगवान महावीर पंचकल्याणक नृत्य नाटिका उनकी प्रमुख कृतियों में से एक है। उनकी अगुवाई में जनमंगल महाकलश यात्रा का आयोजन हुआ, जिसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लाल किले पर किया था। धर्मचक्र यात्रा के सफल आयोजन के साथ महावीर ट्रस्ट की स्थापना में भी उनका योगदान रहा। बद्रीनाथ में अष्टापद तीर्थ की स्थापना में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छावनी क्षेत्र के लगभग सभी परिवारों को सुसंस्कारित करने में उनकी भूमिका अहम रही। उनके निधन से न केवल जैन समाज बल्कि पूरे इंदौर को अपूर्णीय क्षति हुई है।
इंदौर की छावनी क्षेत्र के जैन समाज को गहरा आघात लगा है। समाज के प्रमुख स्तंभ और ज्योतिषाचार्य एम के जैन के पिता समाजसेवी पंडित जयसेनजी का निधन हो गया है। पंडित जयसेनजी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में समर्पित कर दिया। वे अनंतनाथ जिनालय में विभिन्न पदों पर रहे। जैन समाज की पत्रकारिता में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। वे सन्मति वाणी के आजीवन संपादक रहे। वीरनिकलंक पत्रिका के संपादक मंडल में रहकर स्व. रमेश कासलीवाल को मार्गदर्शन दिया। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने सन्मति स्कूल के महासचिव के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कंचनबाई श्राविका आश्रम और समवशरण मंदिर के विकास में ट्रस्टी के रूप में काम किया। धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी उनका योगदान उल्लेखनीय रहा। उन्होंने कई धार्मिक नाटकों का निर्देशन किया। भगवान महावीर पंचकल्याणक नृत्य नाटिका उनकी प्रमुख कृतियों में से एक है। उनकी अगुवाई में जनमंगल महाकलश यात्रा का आयोजन हुआ, जिसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लाल किले पर किया था। धर्मचक्र यात्रा के सफल आयोजन के साथ महावीर ट्रस्ट की स्थापना में भी उनका योगदान रहा। बद्रीनाथ में अष्टापद तीर्थ की स्थापना में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छावनी क्षेत्र के लगभग सभी परिवारों को सुसंस्कारित करने में उनकी भूमिका अहम रही। उनके निधन से न केवल जैन समाज बल्कि पूरे इंदौर को अपूर्णीय क्षति हुई है।