दीप पर्व पर शंकराचार्य मठ इंदौर में विशेष प्रवचन:दीपावली का त्योहार है आया, दीपावली उसी की जिसने खुद को दीप बनाया- डॉ. गिरीशानंदजी महाराज

'राम नाम मणि दीप धरु जीह देहरी द्वार, तुलसी भीतर बाहेरहूँ जो चाहसि उजियार'... रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं कि अपने अंदर और बाहर उजियाला चाहते हों तो अपने होंठ रूपी देहरी पर भगवान राम के नाम रख लें, क्योंकि इस नाम और ध्यान से आपकी सुरक्षा भी रहती है। किसी ने ठीक ही कहा है- दीपावली का त्योहार है आया, दीपावली उसी की जिसने खुद को दीप बनाया...। एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने विशेष प्रवचन में बुधवार को यह बात कही। महापुरुषों ने स्वयं दीप बनकर फैलाया प्रकाश महाराजश्री ने सुनाया- नाम पाहरू दिवस निधि ध्यान तुम्हार कपाट, लोचन जिन पर जंत्रित जाही प्राण कही बाट... रामचरित मानस के अनुसार सीताजी का हाल पूछने पर भगवान राम को हनुमानजी से बताते हैं कि प्रभु आपका नाम रातदिन पहरा देने वाला है। आपका ध्यान एक किबाड़ है, माता सीता नेत्रों को अपने चरणों में लगाए रहती हैं, यही ताला लगा है, ऐसे में प्राण जाएं तो किस मार्ग से। जो व्यक्ति भारतीय सनातन धर्म के आदर्शों, चरित्रों को जीवन में उतारकर भगवान राम और कृष्ण का नाम जपते हैं, वे अलौकिक प्रकाश प्राप्त करके स्वयं दीप बन जाते हैं। सच्ची दीपावली उसी की है, जो अपने व्यक्तित्व, कृतित्व, आदर्श चरित्रों के कारण जनमानस की सेवा करता है, उसके नाम का प्रकाश मरणोपरांत भी बना रहता है। जैसे आद्य शंकराचार्य, आचार्य चाणक्य, गोस्वामी तुलसीदास, महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, शहीद भगतसिंह, महाराणा प्रताप, महारानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती आदि के नाम का प्रकाश आज भी जगमगा रहा है। इन महापुरुषों ने धर्म, समाज और देश की रक्षा के लिए स्वयं को समर्पित कर अपनी सांसारिक खुशियों की बलि चढ़ाकर अपना ही नहीं वरन देश का नाम स्वयं दीपक बनकर रोशन किया। इसकी रोशनी का प्रकाश आज भी फैला हुआ है और अनंत तक जगमगाता रहेगा। सच्ची दिवाली तो इन्हीं महानायकों की है, जिन्होंने स्वयं को दीप बनाया। दीपावली के पावन पर्व पर हमें इनसे प्रेरणा लेना चाहिए कि इन महापुरुषों की तरह हम भी स्वयं को दीप बनाएंगे और देशहित- समाजहित के लिए नि:स्वार्थ भाव से समर्पित होकर अपना सब कुछ न्यौछावर करके कार्य करेंगे।

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'राम नाम मणि दीप धरु जीह देहरी द्वार, तुलसी भीतर बाहेरहूँ जो चाहसि उजियार'... रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं कि अपने अंदर और बाहर उजियाला चाहते हों तो अपने होंठ रूपी देहरी पर भगवान राम के नाम रख लें, क्योंकि इस नाम और ध्यान से आपकी सुरक्षा भी रहती है। किसी ने ठीक ही कहा है- दीपावली का त्योहार है आया, दीपावली उसी की जिसने खुद को दीप बनाया...। एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने अपने विशेष प्रवचन में बुधवार को यह बात कही। महापुरुषों ने स्वयं दीप बनकर फैलाया प्रकाश महाराजश्री ने सुनाया- नाम पाहरू दिवस निधि ध्यान तुम्हार कपाट, लोचन जिन पर जंत्रित जाही प्राण कही बाट... रामचरित मानस के अनुसार सीताजी का हाल पूछने पर भगवान राम को हनुमानजी से बताते हैं कि प्रभु आपका नाम रातदिन पहरा देने वाला है। आपका ध्यान एक किबाड़ है, माता सीता नेत्रों को अपने चरणों में लगाए रहती हैं, यही ताला लगा है, ऐसे में प्राण जाएं तो किस मार्ग से। जो व्यक्ति भारतीय सनातन धर्म के आदर्शों, चरित्रों को जीवन में उतारकर भगवान राम और कृष्ण का नाम जपते हैं, वे अलौकिक प्रकाश प्राप्त करके स्वयं दीप बन जाते हैं। सच्ची दीपावली उसी की है, जो अपने व्यक्तित्व, कृतित्व, आदर्श चरित्रों के कारण जनमानस की सेवा करता है, उसके नाम का प्रकाश मरणोपरांत भी बना रहता है। जैसे आद्य शंकराचार्य, आचार्य चाणक्य, गोस्वामी तुलसीदास, महात्मा गांधी, बाल गंगाधर तिलक, शहीद भगतसिंह, महाराणा प्रताप, महारानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती आदि के नाम का प्रकाश आज भी जगमगा रहा है। इन महापुरुषों ने धर्म, समाज और देश की रक्षा के लिए स्वयं को समर्पित कर अपनी सांसारिक खुशियों की बलि चढ़ाकर अपना ही नहीं वरन देश का नाम स्वयं दीपक बनकर रोशन किया। इसकी रोशनी का प्रकाश आज भी फैला हुआ है और अनंत तक जगमगाता रहेगा। सच्ची दिवाली तो इन्हीं महानायकों की है, जिन्होंने स्वयं को दीप बनाया। दीपावली के पावन पर्व पर हमें इनसे प्रेरणा लेना चाहिए कि इन महापुरुषों की तरह हम भी स्वयं को दीप बनाएंगे और देशहित- समाजहित के लिए नि:स्वार्थ भाव से समर्पित होकर अपना सब कुछ न्यौछावर करके कार्य करेंगे।