नए शिक्षकों की पोस्टिंग का मामला:हाईकोर्ट के निर्देश-मेरिटोरियस को 30 दिन में पसंद के जिले और स्कूल में पदस्थ करें

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मेरिट में आए आरक्षित वर्ग के प्राइमरी शिक्षकों को पसंद के स्कूल में पदस्थ करने के मामले में दिवाली पूर्व रिजर्व आदेश मंगलवार को पारित कर दिया। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि जनजातीय कार्य विभाग में पदस्थ किए गए एससी,ओबीसी, ईडब्ल्यूएस के प्रतिभावान (मेरिटोरियस) अभ्यर्थियों की 30 दिन में उनकी पसंद के स्कूल और जिलों में पदस्थापना करें। इस आदेश से स्कूल शिक्षा विभाग में उथल-पुथल मच गई है क्योंकि इससे जनजातीय कार्य विभाग में शिक्षकों के कई पद रिक्त हो जाएंगे, आदेश के विरुद्ध सरकार सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर करने की तैयारी में है। इससे पहले अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने अभ्यर्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट मे केवियत दायर कर दी है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ठाकुर ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग ने 'प्राथमिक शिक्षक भर्ती 2020-23' में चयनित आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की मेरिट अनारक्षित वर्ग में परिवर्तित कर जनजातीय कार्य विभाग के स्कूलों में पोस्टिंग कर दी। जबकि याचिकाकर्ताओं ने स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूलों का चयन किया था। इससे व्यथित सौरभ सिंह ठाकुर विदिशा, वंदना विश्वकर्मा जबलपुर, सोनू परिहार शिवपुरी, रौनक चौबे आलीराजपुर, रोहित चौधरी देवास, अमन दुबे एवं आकांक्षा बाजपेयी सागर, मोहिनी डुमे पन्ना सहित दो दर्जन से अधिक प्राइमरी शिक्षकों ने 2023 में याचिकाएं दायर कीं। याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने की और 24 अक्टूबर को फैसला रिजर्व रख लिया था। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने बताया कि याचिकाकर्ताओं से कम अंक वाले अभ्यर्थियों की उनकी पसंद से स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूलों में पोस्टिंग कर दी गई और याचिकाकर्ताओं का मेरिट में उच्च स्थान होने के कारण केटीगिरी अनारक्षित वर्ग में परिवर्तित कर जनजातीय कार्य विभाग के स्कूलों में पोस्टिंग की गई है। ठाकुर ने बताया कि कमिश्नर लोक शिक्षण ने आरक्षण नियमों और सुप्रीम कोर्ट द्वारा रेखांकित मार्गदर्शी सिद्धांतों को ताक पर रखकर याचिकाकर्ताओं की पोस्टिंग की। याचिकाकर्ताओं के लिए मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करना अभिशाप बन गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा शाहनी सहित सैकड़ों मामलों में स्पष्ट किया है कि यदि आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करता है तो उसकी गणना आरक्षित वर्ग में नहीं की जाएगी बल्कि उसे उसकी प्रथम वरीयता क्रम में अनारक्षित वर्ग में पोस्टिंग की जाएगी। ठाकुर बताते हैं कि मध्य प्रदेश सरकार ऐसे कई मामलों में एसएलपी दायर करके प्रकरण खारिज करा चुकी है जिनमें हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुरूप फैसले पारित किए हैं।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मेरिट में आए आरक्षित वर्ग के प्राइमरी शिक्षकों को पसंद के स्कूल में पदस्थ करने के मामले में दिवाली पूर्व रिजर्व आदेश मंगलवार को पारित कर दिया। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि जनजातीय कार्य विभाग में पदस्थ किए गए एससी,ओबीसी, ईडब्ल्यूएस के प्रतिभावान (मेरिटोरियस) अभ्यर्थियों की 30 दिन में उनकी पसंद के स्कूल और जिलों में पदस्थापना करें। इस आदेश से स्कूल शिक्षा विभाग में उथल-पुथल मच गई है क्योंकि इससे जनजातीय कार्य विभाग में शिक्षकों के कई पद रिक्त हो जाएंगे, आदेश के विरुद्ध सरकार सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर करने की तैयारी में है। इससे पहले अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने अभ्यर्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट मे केवियत दायर कर दी है। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ठाकुर ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग ने 'प्राथमिक शिक्षक भर्ती 2020-23' में चयनित आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की मेरिट अनारक्षित वर्ग में परिवर्तित कर जनजातीय कार्य विभाग के स्कूलों में पोस्टिंग कर दी। जबकि याचिकाकर्ताओं ने स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूलों का चयन किया था। इससे व्यथित सौरभ सिंह ठाकुर विदिशा, वंदना विश्वकर्मा जबलपुर, सोनू परिहार शिवपुरी, रौनक चौबे आलीराजपुर, रोहित चौधरी देवास, अमन दुबे एवं आकांक्षा बाजपेयी सागर, मोहिनी डुमे पन्ना सहित दो दर्जन से अधिक प्राइमरी शिक्षकों ने 2023 में याचिकाएं दायर कीं। याचिकाओं की सुनवाई जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने की और 24 अक्टूबर को फैसला रिजर्व रख लिया था। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने बताया कि याचिकाकर्ताओं से कम अंक वाले अभ्यर्थियों की उनकी पसंद से स्कूल शिक्षा विभाग के स्कूलों में पोस्टिंग कर दी गई और याचिकाकर्ताओं का मेरिट में उच्च स्थान होने के कारण केटीगिरी अनारक्षित वर्ग में परिवर्तित कर जनजातीय कार्य विभाग के स्कूलों में पोस्टिंग की गई है। ठाकुर ने बताया कि कमिश्नर लोक शिक्षण ने आरक्षण नियमों और सुप्रीम कोर्ट द्वारा रेखांकित मार्गदर्शी सिद्धांतों को ताक पर रखकर याचिकाकर्ताओं की पोस्टिंग की। याचिकाकर्ताओं के लिए मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करना अभिशाप बन गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा शाहनी सहित सैकड़ों मामलों में स्पष्ट किया है कि यदि आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करता है तो उसकी गणना आरक्षित वर्ग में नहीं की जाएगी बल्कि उसे उसकी प्रथम वरीयता क्रम में अनारक्षित वर्ग में पोस्टिंग की जाएगी। ठाकुर बताते हैं कि मध्य प्रदेश सरकार ऐसे कई मामलों में एसएलपी दायर करके प्रकरण खारिज करा चुकी है जिनमें हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुरूप फैसले पारित किए हैं।