बड़वानी में गोभी फसल मवेशियों को खिला रहे किसान:भाव पांच रुपए किलो पर पहुंचा; मंडी ले जाना भी पड़ रहा महंगा

Cabbage crop in Barwani

बड़वानी में गोभी फसल मवेशियों को खिला रहे किसान:भाव पांच रुपए किलो पर पहुंचा; मंडी ले जाना भी पड़ रहा महंगा
Follow this link to join my WhatsApp Group
Follow this link to join my WhatsApp Group
Follow this link to join my WhatsApp Group

बड़वानी जिले में इन दिनों किसानों के खेतों पर लगी फूल गोभी की फसल के दाम नहीं मिल रहे हैं। किसानों को मात्र दो से तीन रुपए प्रतिकिलो के भाव मिल रहे है। इससे निराश ग्राम ऊची के किसान रामलाल पंचोले ने फूल गोभी मवेशियों को खिलाना शुरू कर दिया है। राजपुर विकासखंड के ग्राम ऊची के किसान रामलाल पंचोले ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ में पत्ता गोभी लगाई थी। फसल का उत्पादन अच्छा हुआ पर दाम पांच रुपए किलो भी नसीब नहीं हुए। तो उन्होंने फसल मवेशियों के हवाले कर दी। बाजार में पत्ता गोभी दो से तीन रुपए किलो तक बिक रही है। ऐसे में किसानों को खेत से गोभी काटकर बाजार लेकर जाना भी महंगा साबित हो रहा है। एक एकड़ में 50 हजार तक का खर्च किसान रामलाल का कहना है कि एक एकड़ में गोभी लगाने में 45 से 50 हजार रुपए तक खर्च आता है। गोभी उत्पादक किसानों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। अपने खेत में करीब दो एकड़ में फूल गोभी की फसल लगाई थीं। अब मजबूरी में अपनी तैयार फसल को मवेशियों को खिलाकर नष्ट करना पड़ रहा है। एक लाख से ज्यादा की लागत लगी है। फसल का उत्पादन भी अच्छा हुआ। मगर भाव नहीं मिल रहे हैं। बाजार में दो से तीन रुपए किलो के भाव है। इसमें फसल को तोड़ने की लागत भी नहीं निकल पाएगी। उल्टा मजदूरों को तुड़वाई का पैसा जेब से देना पड़ेगा। इसी के कारण फसल को मवेशियों को खिला रहे हैं। मंडी तक फसल ले जाना महंगा इससे पहले किसानों को टमाटर की फसल से भी धोखा ही मिला है। टमाटर के भाव भी एक-दो रुपए किलो हो गए थे। उन्होंने कहा कि गोभी की फसल लगाने वाले किसान कैरेट के कैरेट सब्जियां फेंक रहे हैं। उनका कहना है मंडी में फसल ले जाने तक का भाड़ा भी महंगा पड़ रहा है। दाम नहीं मिल पा रहे हैं। इसलिए अपने ही मवेशियों को खेत में लगी गोभी की फसल खिला रहे है। सभी गांवों में ऐसी हालत किसान मंशाराम पंचोले ने बताया कि उनके गांव के अधिकतर लोग हरी सब्जी की खेती करते हैं। लेकिन उचित दाम नहीं मिलने से किसान परेशान हैं। गांव के लोगों की जीविका का मुख्य साधन कृषि है। किसान कर्ज लेकर सब्जियों की खेती करते हैं, लेकिन उचित दाम नहीं मिलने से कर्ज लौटाना भी मुश्किल हो गया है। भेंड़ों को खिलाकर जमीन कर रहे तैयार किसान ने बताया कि आसपास के सभी गांवों के किसानों की यही स्थिति है। कई किसान अपने खेतों में ही फसलों को नष्ट कर रहे है। वहीं गोभी की फसल से खर्चा भी नहीं निकलेगा ओर तो ओर इसे निकालने के लिए मजदूरी अलग से लगेगी। वहीं अब गोभी को मवेशियों ओर भेड़ों को खिलाकर जमीन को तैयार कर आगामी फसल लगाने कि तैयारी शुरू कर रहे हैं। ज्यादा उत्पादन के चलते गिरे दाम व्यापारी परेश नामदेव ने बताया कि फूल गोभी का उत्पादन इस बार ज्यादा हुआ है। माल की आवक भी मंडी में ज्यादा हो रही है। इसी के कारण भाव मे कमी आई हुई है। अभी मंडी में दो से तीन रुपए प्रति किलो किसानों से गोभी की खरीदी की जा रही है। गोभी, टमाटर सहित कई सब्जियों के भाव इस बार उत्पादन अधिक होने से भाव कम है।