बैतूल में जयस ने जलाया वन विभाग का पुतला:आदिवासियों की जमीन पर कब्जे का आरोप; राज्यपाल के नाम साैंपा ज्ञापन
बैतूल में जयस ने जलाया वन विभाग का पुतला:आदिवासियों की जमीन पर कब्जे का आरोप; राज्यपाल के नाम साैंपा ज्ञापन
बैतूल में जयस संगठन ने वन विभाग द्वारा आदिवासियों की जमीनों पर अवैध कब्जे के विरोध में रविवार को प्रदर्शन किया। संगठन के जिलाध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य संदीप धुर्वे के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने ऑडिटोरियम में रानी दुर्गावती की प्रतिमा के पास वन विभाग का पुतला दहन किया। जिलाध्यक्ष धुर्वे के अनुसार, वन विभाग ने 1950 के बाद से बैतूल जिले में लगभग 74 हजार हेक्टेयर दखल रहित भूमि और 7500 हेक्टेयर नारंगी वन भूमि को अपने वर्किंग प्लान में शामिल कर लिया है। विधानसभा में प्रश्न क्रमांक 1048 के जवाब में राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया था कि इन जमीनों का आवंटन कभी भी वन विभाग को नहीं किया गया। इसके बावजूद वन विभाग ने न केवल इन जमीनों पर कब्जा किया, बल्कि आदिवासियों की निजी भूमि पर भी वृक्षारोपण और वनोपज की कटाई की गतिविधियां संचालित कीं। बोले- वन विभाग की कार्रवाई संविधान का उल्लंघन जयस संगठन का आरोप है कि वन विभाग की यह कार्रवाई संविधान, कानून और न्यायालय के आदेशों का खुला उल्लंघन है। 18 दिसंबर 2024 को राजस्व विभाग ने पुष्टि की थी कि ये जमीनें अभी भी राजस्व अभिलेखों में दखल रहित दर्ज हैं। इस मुद्दे पर संगठन ने राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन कलेक्टर बैतूल को सौंपा है। संगठन ने पहले इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर केवल पुतला दहन तक सीमित रखा।
बैतूल में जयस संगठन ने वन विभाग द्वारा आदिवासियों की जमीनों पर अवैध कब्जे के विरोध में रविवार को प्रदर्शन किया। संगठन के जिलाध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य संदीप धुर्वे के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने ऑडिटोरियम में रानी दुर्गावती की प्रतिमा के पास वन विभाग का पुतला दहन किया। जिलाध्यक्ष धुर्वे के अनुसार, वन विभाग ने 1950 के बाद से बैतूल जिले में लगभग 74 हजार हेक्टेयर दखल रहित भूमि और 7500 हेक्टेयर नारंगी वन भूमि को अपने वर्किंग प्लान में शामिल कर लिया है। विधानसभा में प्रश्न क्रमांक 1048 के जवाब में राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया था कि इन जमीनों का आवंटन कभी भी वन विभाग को नहीं किया गया। इसके बावजूद वन विभाग ने न केवल इन जमीनों पर कब्जा किया, बल्कि आदिवासियों की निजी भूमि पर भी वृक्षारोपण और वनोपज की कटाई की गतिविधियां संचालित कीं। बोले- वन विभाग की कार्रवाई संविधान का उल्लंघन जयस संगठन का आरोप है कि वन विभाग की यह कार्रवाई संविधान, कानून और न्यायालय के आदेशों का खुला उल्लंघन है। 18 दिसंबर 2024 को राजस्व विभाग ने पुष्टि की थी कि ये जमीनें अभी भी राजस्व अभिलेखों में दखल रहित दर्ज हैं। इस मुद्दे पर संगठन ने राज्यपाल को संबोधित एक ज्ञापन कलेक्टर बैतूल को सौंपा है। संगठन ने पहले इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में इसे संशोधित कर केवल पुतला दहन तक सीमित रखा।