एडलगिव हुरून ने जारी की दानवीरों की सूची:देश के बड़े दानवीरों में इंदौर के कोल कारोबारी अग्रवाल 58वें स्थान पर

देश के सबसे बड़े दानवीरों की सूची गुरुवार को एडलगिव हुरून ने जारी कर दी है। इसमें मध्यप्रदेश से सिर्फ कोल कारोबारी विनोद अग्रवाल को जगह मिली है। विनोद अग्रवाल इस सूची में 20 करोड़ रूपए दान करके 58वें नंबर पर हैं। उन्होंने सालभर में 20 करोड़ की राशि दान की है। हालांकि विनोद अग्रवाल द्वारा दान की जाने वाली राशि में कमी आई है। जिससे उनका सूची में स्थान भी पिछले साल के मुकाबले कम हुआ है। विनोद अग्रवाल 2023 की सूची में 34 करोड़ रूपए का दान करने के साथ 31 वें स्थान पर थे लेकिन इस 2023-24 की सूची में वह पिछले साल से 14 करोड़ रूपए दान कम कर 58वें स्थान पर आए है। अग्रवाल ने जहां 2023 में 34 करोड़ रूपए का दान दिया था तो वहीं इस साल उन्होंने 20 करोड़ रूपए का दान दिया है। बता दें कि इससे पहले देश के एक हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले सबसे अमीरों की जारी सूची में अग्रवाल 7100 करोड़ की संपत्ति के साथ 394वें नंबर पर थे लेकिन दान में वह इस सूची में देश के कई बड़े अमीरों से आगे निकल गए हैं। मध्यप्रदेश कैटेगरी में वे नंबर एक पर बरकरार हैं। 2023 में उनकी संपत्ति 6700 करोड़ थी। एक साल में 400 करोड़ का इजाफा हुआ। 2021 से अब तक 95 करोड़ रूपए से ज्यादा का दान कर चुके अग्रवाल इंदौर के कोल व्यापारी विनोद अग्रवाल 2021 से लेकर अब तक 95 करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि दान कर चुके है। अग्रवाल ने 2021 में 11 करोड़ रूपए दान किए थे तब उन्हें सूची में 66 वां स्थान मिला, 2022 में 30 करोड़ रूपए दान कर उन्हें सूची में 34 वां स्थान प्राप्त हुआ, 2023 में 34 करोड़ रूपए दान करने के साथ उन्हें 31 वां स्थान मिला था वहीं 2023-24 की सूची के अनुसार उन्होंने 20 करोड़ रूपए का दान दिया है और उन्हें 58वां स्थान मिला। जरूरतमंदों की मदद करना मेरे जीवन का अहम हिस्सा : अग्रवाल विनोद अग्रवाल का कहना है कि शहर, समाज और देश का कल्याण ही मेरा लक्ष्य है। इसे पूरा करने के लिए योगदान देता रहुंगा। वह कहते है कि सब मानते हैं कि भगवान के करोड़ों हाथ हैं, जिससे वो मदद करता है पर वो हाथ ओर कोई नहीं, हम सब लोग ही हैं। इसलिए हमें अपनी क्षमता अनुसार अपने देश, शहर, समाज और जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहिए। इसे मैं अपना कर्तव्य समझता हूं और ये मेरे जीवन का बहुत अहम हिस्सा है। बता दें कि अग्रवाल की संस्था कई परोपकारी योजनाओं के लिए काम कर रही है। अग्रवाल ने इस काम के लिए दान की राशि अग्रवाल ने यह राशि भूख उन्मूलन के साथ ही योगा कार्य के लिए और शिक्षा के लिए मूल रूप से खर्च की है। अग्रवाल बालाजी सेवार्थ विनोद अग्रवाल फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी भी हैं। इनके द्वारा कई तरह के प्रोजेक्ट किए गए हैं और काम जारी है। चमेली देवी अग्रवाल अन्नशाला महाकाल उज्जैन, चमेली देवी अग्रवाल मेडिकल सेंटर इंदौर, चमेली देवी अग्रवाल योग केंद्र इंदौर, चमेली देवी अग्रवाल मांगलिक भवन सालासर, सेवा सदन सालासर, गऊ चिकित्सालय सालासर यह सभी ट्रस्ट के हैं। संपत्ति बढ़ी लेकिन दान 14 करोड़ रूपए कम किया बीते साल से विनोद अग्रवाल की संपत्ति में 400 करोड़ का इजाफा हुआ लेकिन दान राशि में 14 करोड़ की कटौती कर दी है। वह साल 2023 की रिच लिस्ट में 6700 करोड़ की संपत्ति के मालिक थे तो वहीं 2024 की लिस्ट में वह 7100 करोड़ की संपत्ति के साथ रिच लिस्ट में थे लेकिन जब उनकी संपत्ति 6700 करोड़ थी तब उन्होंने 2023 में 34 करोड़ रुपए का दान किया था और वह दानवीरों की सूची में देश में 31वें नंबर थे। वहीं अब जब संपत्ति 7100 करोड़ रुपए है तो उन्होंने केवल 20 करोड़ रुपए का दान किया है और वह इस सूची में 58वें नंबर पर है। मप्र से यह भी रिच लिस्ट में लेकिन दान करने में यह पीछे मप्र से रिच लिस्ट में तो 13 व्यक्ति शामिल है। लेकिन विनोद अग्रवाल को छोड़कर बाकी 12 हुरुन की दानवीर की लिस्ट में आगे नहीं आ सके हैं। जिसमें दिलीप बिल्डकोन के दिलीप सूर्यवंशी, उजास एनर्जी के श्याम सुंदर मुंदड़ा, शक्ति पंप के दिनेश पाटीदार, सागर मैन्युफैक्चर्स के सुधीर अग्रवाल, राज रतन ग्लोबल वायर के सुनील चौरड़िया, दिलीप बिल्डकान के देवेंद्र जैन, जीआर इन्फ्रा के विनोद अग्रवाल, जयदीप इस्पात के विमल तोड़ी, प्रकाश एसफालटिंग के नितिन अग्रवाल, शक्ति पंप के सुनील पाटीदार और आनंद ज्वेलरी के गौरव आनंद है। जानिए कौन हैं विनोद अग्रवाल, कैसे बने प्रदेश के सबसे अमीर शख्स... दो साल के थे तब परिवार इंदौर आया 10 जून 1963 को हरियाणा के रोहतक में जन्मे विनोद अग्रवाल का परिवार जमींदारी से जुड़ा था। 1965 में जब वे दो साल के थे तो परिवार इंदौर आकर बस गया। इंदौर में पिता ने पहले नौकरी की, फिर खुद का ट्रांसपोर्ट बिजनेस शुरू किया। इसके बाद वे धीरे-धीरे कोयले के कारोबार से जुड़ते गए। दैनिक भास्कर को दिया था इंटरव्यू दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में विनोद अग्रवाल ने कहा था कि 'मैं जब 9वीं क्लास में था, लगभग 14-15 साल मेरी उम्र थी। तभी बिजनेस संभालना शुरू कर दिया। तब गुजरात-राजस्थान की यात्राएं की, जो कोयला व्यापार से संबंधित थी। तब क्लाइंट को हैंडल करना बड़ा चैलेंज था। कम उम्र होने के कारण कई बार उन्हें भरोसे में लेना मुश्किल हो जाता था। हालांकि मेरा पढ़ने का शौक कम नहीं हुआ। 12वीं की परीक्षा में गोल्ड मेडलिस्ट रहा। प्रदेश में मेरिट लिस्ट में था। व्यापार का सफर भी चलता रहा।' इंदौर आए थे तब साइकिल भी नहीं थी आगे उन्होंने बताया- 'जब हम इंदौर आए थे तो हमारे पास एक साइकिल भी नहीं थी। सपना था कि हमारे पास भी एक साइकिल हो। आज प्रभु ने हमें रोल्स-रॉयस दी हुई है। मेरा मानना है कि जो समय आप से करवाए वो करना चाहिए। यदि आप समय के आगे चलेंगे तो भी तकलीफ है, समय से पीछे चलेंगे तो भी तकलीफ है।' उदाहरण के लिए यदि आप आज मर्सिडीज कार मेंटेन कर सकते हैं और आप कंजूसी में मारुति में चलाना शुरू कर दें तो वो भी गलत है। अगर आपकी पॉजिशन मारुति की ही है और आप मर्सिडीज ले आते हैं तो आप संभाल नहीं पाएंगे। मेंटेन नहीं कर

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देश के सबसे बड़े दानवीरों की सूची गुरुवार को एडलगिव हुरून ने जारी कर दी है। इसमें मध्यप्रदेश से सिर्फ कोल कारोबारी विनोद अग्रवाल को जगह मिली है। विनोद अग्रवाल इस सूची में 20 करोड़ रूपए दान करके 58वें नंबर पर हैं। उन्होंने सालभर में 20 करोड़ की राशि दान की है। हालांकि विनोद अग्रवाल द्वारा दान की जाने वाली राशि में कमी आई है। जिससे उनका सूची में स्थान भी पिछले साल के मुकाबले कम हुआ है। विनोद अग्रवाल 2023 की सूची में 34 करोड़ रूपए का दान करने के साथ 31 वें स्थान पर थे लेकिन इस 2023-24 की सूची में वह पिछले साल से 14 करोड़ रूपए दान कम कर 58वें स्थान पर आए है। अग्रवाल ने जहां 2023 में 34 करोड़ रूपए का दान दिया था तो वहीं इस साल उन्होंने 20 करोड़ रूपए का दान दिया है। बता दें कि इससे पहले देश के एक हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति वाले सबसे अमीरों की जारी सूची में अग्रवाल 7100 करोड़ की संपत्ति के साथ 394वें नंबर पर थे लेकिन दान में वह इस सूची में देश के कई बड़े अमीरों से आगे निकल गए हैं। मध्यप्रदेश कैटेगरी में वे नंबर एक पर बरकरार हैं। 2023 में उनकी संपत्ति 6700 करोड़ थी। एक साल में 400 करोड़ का इजाफा हुआ। 2021 से अब तक 95 करोड़ रूपए से ज्यादा का दान कर चुके अग्रवाल इंदौर के कोल व्यापारी विनोद अग्रवाल 2021 से लेकर अब तक 95 करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि दान कर चुके है। अग्रवाल ने 2021 में 11 करोड़ रूपए दान किए थे तब उन्हें सूची में 66 वां स्थान मिला, 2022 में 30 करोड़ रूपए दान कर उन्हें सूची में 34 वां स्थान प्राप्त हुआ, 2023 में 34 करोड़ रूपए दान करने के साथ उन्हें 31 वां स्थान मिला था वहीं 2023-24 की सूची के अनुसार उन्होंने 20 करोड़ रूपए का दान दिया है और उन्हें 58वां स्थान मिला। जरूरतमंदों की मदद करना मेरे जीवन का अहम हिस्सा : अग्रवाल विनोद अग्रवाल का कहना है कि शहर, समाज और देश का कल्याण ही मेरा लक्ष्य है। इसे पूरा करने के लिए योगदान देता रहुंगा। वह कहते है कि सब मानते हैं कि भगवान के करोड़ों हाथ हैं, जिससे वो मदद करता है पर वो हाथ ओर कोई नहीं, हम सब लोग ही हैं। इसलिए हमें अपनी क्षमता अनुसार अपने देश, शहर, समाज और जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहिए। इसे मैं अपना कर्तव्य समझता हूं और ये मेरे जीवन का बहुत अहम हिस्सा है। बता दें कि अग्रवाल की संस्था कई परोपकारी योजनाओं के लिए काम कर रही है। अग्रवाल ने इस काम के लिए दान की राशि अग्रवाल ने यह राशि भूख उन्मूलन के साथ ही योगा कार्य के लिए और शिक्षा के लिए मूल रूप से खर्च की है। अग्रवाल बालाजी सेवार्थ विनोद अग्रवाल फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी भी हैं। इनके द्वारा कई तरह के प्रोजेक्ट किए गए हैं और काम जारी है। चमेली देवी अग्रवाल अन्नशाला महाकाल उज्जैन, चमेली देवी अग्रवाल मेडिकल सेंटर इंदौर, चमेली देवी अग्रवाल योग केंद्र इंदौर, चमेली देवी अग्रवाल मांगलिक भवन सालासर, सेवा सदन सालासर, गऊ चिकित्सालय सालासर यह सभी ट्रस्ट के हैं। संपत्ति बढ़ी लेकिन दान 14 करोड़ रूपए कम किया बीते साल से विनोद अग्रवाल की संपत्ति में 400 करोड़ का इजाफा हुआ लेकिन दान राशि में 14 करोड़ की कटौती कर दी है। वह साल 2023 की रिच लिस्ट में 6700 करोड़ की संपत्ति के मालिक थे तो वहीं 2024 की लिस्ट में वह 7100 करोड़ की संपत्ति के साथ रिच लिस्ट में थे लेकिन जब उनकी संपत्ति 6700 करोड़ थी तब उन्होंने 2023 में 34 करोड़ रुपए का दान किया था और वह दानवीरों की सूची में देश में 31वें नंबर थे। वहीं अब जब संपत्ति 7100 करोड़ रुपए है तो उन्होंने केवल 20 करोड़ रुपए का दान किया है और वह इस सूची में 58वें नंबर पर है। मप्र से यह भी रिच लिस्ट में लेकिन दान करने में यह पीछे मप्र से रिच लिस्ट में तो 13 व्यक्ति शामिल है। लेकिन विनोद अग्रवाल को छोड़कर बाकी 12 हुरुन की दानवीर की लिस्ट में आगे नहीं आ सके हैं। जिसमें दिलीप बिल्डकोन के दिलीप सूर्यवंशी, उजास एनर्जी के श्याम सुंदर मुंदड़ा, शक्ति पंप के दिनेश पाटीदार, सागर मैन्युफैक्चर्स के सुधीर अग्रवाल, राज रतन ग्लोबल वायर के सुनील चौरड़िया, दिलीप बिल्डकान के देवेंद्र जैन, जीआर इन्फ्रा के विनोद अग्रवाल, जयदीप इस्पात के विमल तोड़ी, प्रकाश एसफालटिंग के नितिन अग्रवाल, शक्ति पंप के सुनील पाटीदार और आनंद ज्वेलरी के गौरव आनंद है। जानिए कौन हैं विनोद अग्रवाल, कैसे बने प्रदेश के सबसे अमीर शख्स... दो साल के थे तब परिवार इंदौर आया 10 जून 1963 को हरियाणा के रोहतक में जन्मे विनोद अग्रवाल का परिवार जमींदारी से जुड़ा था। 1965 में जब वे दो साल के थे तो परिवार इंदौर आकर बस गया। इंदौर में पिता ने पहले नौकरी की, फिर खुद का ट्रांसपोर्ट बिजनेस शुरू किया। इसके बाद वे धीरे-धीरे कोयले के कारोबार से जुड़ते गए। दैनिक भास्कर को दिया था इंटरव्यू दैनिक भास्कर को दिए एक इंटरव्यू में विनोद अग्रवाल ने कहा था कि 'मैं जब 9वीं क्लास में था, लगभग 14-15 साल मेरी उम्र थी। तभी बिजनेस संभालना शुरू कर दिया। तब गुजरात-राजस्थान की यात्राएं की, जो कोयला व्यापार से संबंधित थी। तब क्लाइंट को हैंडल करना बड़ा चैलेंज था। कम उम्र होने के कारण कई बार उन्हें भरोसे में लेना मुश्किल हो जाता था। हालांकि मेरा पढ़ने का शौक कम नहीं हुआ। 12वीं की परीक्षा में गोल्ड मेडलिस्ट रहा। प्रदेश में मेरिट लिस्ट में था। व्यापार का सफर भी चलता रहा।' इंदौर आए थे तब साइकिल भी नहीं थी आगे उन्होंने बताया- 'जब हम इंदौर आए थे तो हमारे पास एक साइकिल भी नहीं थी। सपना था कि हमारे पास भी एक साइकिल हो। आज प्रभु ने हमें रोल्स-रॉयस दी हुई है। मेरा मानना है कि जो समय आप से करवाए वो करना चाहिए। यदि आप समय के आगे चलेंगे तो भी तकलीफ है, समय से पीछे चलेंगे तो भी तकलीफ है।' उदाहरण के लिए यदि आप आज मर्सिडीज कार मेंटेन कर सकते हैं और आप कंजूसी में मारुति में चलाना शुरू कर दें तो वो भी गलत है। अगर आपकी पॉजिशन मारुति की ही है और आप मर्सिडीज ले आते हैं तो आप संभाल नहीं पाएंगे। मेंटेन नहीं कर पाएंगे तो परेशान हो जाएंगे। ब्याज का जीवन नहीं बनाएं। आप जैसे हैं वैसे रहें।' नहीं छोड़ सकता इंदौर विनोद अग्रवाल कहते हैं, 'मुझसे पहले कभी कहा गया था कि भारत के कानून अलग तरीके के हैं, सख्त हैं। यहां टैक्सेशन अधिक है, आपको कहीं न कहीं विदेश में सेटल हो जाना चाहिए। देश से बाहर चले जाना चाहिए तो मेरा उनको यही जवाब रहता था कि ये मां अहिल्या की पुण्य नगरी है।' 'यदि आप यहां आए हैं और आपने यहां से कुछ अर्जन किया है और आप सोचे कि कहीं बाहर चले जाएं और उसको संभाल पाएं। मेरे पास ऐसे कई उदाहरण है, जिन्होंने अपना होम टाउन बदला तो वो कहीं संभल नहीं पाए। तो मैं तो कभी भी इंदौर नहीं छोड़ूंगा। मुझे तो इस धरती ने सब कुछ दिया है।' 'फिर बेटे की बात हुई कि उसे बाहर सेटल कर दीजिए। NRI बना दीजिए, मैंने कहा कि भारत के संस्कार ऐसे नहीं है। हमारा बेटा ही हमारी भविष्य की धरोहर है। हमारी जो चीजें हैं, उसको उसे आगे बढ़ाना है। मेरा विजन है कि मैं परिवार के साथ इस देश में, इस शहर में रहूं।'